भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य नागेश कुमार ने मनोजित साहा को ईमल पर दिए साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने विनिर्माण क्षेत्र में मंदी के कारण दिसंबर की समीक्षा बैठक में 25 आधार अंक कटौती के लिए मत दिया था। पेश हैं मुख्य अंश :
आपने दिसंबर में नीतिगत समीक्षा के दौरान रिपो दर में 25 आधार अंक कटौती के लिए क्यों मत दिया था। आपके क्या तर्क थे?
मेरा मानना है कि 2024-25 की दूसरी तिमाही में वृद्धि 6.7 प्रतिशत से गिरकर 5.4 प्रतिशत होना गंभीर था। यह मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र की सुस्ती से भी उजागर होता है। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर पहली तिमाही के 2.0 प्रतिशत से सुधर कर दूसरी तिमाही में 3.5 प्रतिशत हो गई। सेवा क्षेत्र ने जबरदस्त वृद्धि दर को कायम रखा था।
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 7.0 प्रतिशत से तेजी से गिरकर 2.2 प्रतिशत हो गई। रीपो दर को कम करके पूंजी की लागत घटाकर निजी निवेश के साथ-साथ उपभोक्ता मांग की वृद्धि को बेहतर करने में मदद मिल सकती है। विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार से महंगाई के दबाव को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
कई केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती शुरू कर दी है। कैसे देखते हैं?
ज्यादातर केंद्रीय बैंकों ने मौद्रिक नीति को सामान्य स्तर पर लाने की शुरुआत कर दी है। यूएस फेड ने तीन चरणों में नीतिगत दर में 100 आधार अंक की कटौती कर दी है। अगर हम सामान्यीकरण की प्रक्रिया को नहीं अपनाते हैं तो रुपये की कीमत बढ़ने का जोखिम पैदा हो जाएगा।