बैंक ऑफ इंग्लैंड ने यूके में महंगाई दर 2% से नीचे आने के बाद अपनी मुख्य ब्याज दर में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती की है। गुरुवार को बैंक ने बताया कि उसकी समिति ने ब्याज दर को घटाकर 4.75% कर दिया है। यह पिछले तीन महीनों में दूसरी बार है जब बैंक ने ब्याज दर में कटौती की है।
कोरोना महामारी के दौरान दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने तेजी से ब्याज दरें बढ़ाईं थीं, क्योंकि महंगाई में जोरदार उछाल आया था। पहले सप्लाई की दिक्कतें और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध ने ऊर्जा की कीमतें बढ़ा दीं, जिससे महंगाई बढ़ी। अब जब महंगाई दर हाल के उच्चतम स्तर से घट रही है, कई केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व से भी गुरुवार को ब्याज दर घटाने की उम्मीद है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यूके की नई लेबर सरकार के टैक्स बढ़ाने वाले बजट और अमेरिका में राष्ट्रपति चुने गए डोनाल्ड ट्रम्प के आर्थिक फैसलों के कारण अगले साल ब्याज दरों में ज्यादा कटौती मुश्किल हो सकती है।
अगस्त में बैंक ऑफ इंग्लैंड की 9-सदस्यीय समिति ने पहली बार कोरोना महामारी के बाद ब्याज दरों में कटौती की थी। कोरोना के दौरान दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने महंगाई बढ़ने पर ब्याज दरें तेजी से बढ़ाईं, क्योंकि सप्लाई की समस्याएं और रूस-यूक्रेन युद्ध ने ऊर्जा की कीमतों में उछाल ला दिया था। अब जब महंगाई घट रही है, कई केंद्रीय बैंक धीरे-धीरे ब्याज दरें कम कर रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि यूके की अर्थव्यवस्था में महंगाई का दबाव कम हो गया है, जिससे बैंक कारोबारों और मकान मालिकों पर ब्याज दर का बोझ घटा सकता है। सितंबर में यूके की महंगाई दर 1.7% रही, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम है और बैंक के 2% लक्ष्य से नीचे है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ट्रेजरी प्रमुख रेचल रीव्स ने 70 बिलियन पाउंड के अतिरिक्त खर्च की घोषणा की, जो टैक्स बढ़ाकर और कर्ज लेकर किया जाएगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस खर्च और टैक्स बढ़ोतरी से अगले साल महंगाई फिर बढ़ सकती है।
आईएनजी के अर्थशास्त्री जेम्स स्मिथ ने कहा कि बजट के फैसले से बैंक का दरों में कटौती का निर्णय नहीं बदलेगा, लेकिन आगे दरों में कटौती की रफ्तार धीमी हो सकती है।
यह दर कटौती का फैसला ऐसे समय में भी आया है जब डोनाल्ड ट्रम्प को अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में जीत मिली है। ट्रम्प ने कर में कटौती और कुछ आयातित सामानों पर टैक्स लगाने का संकेत दिया है, जो जनवरी में व्हाइट हाउस लौटने पर लागू किए जा सकते हैं। इन नीतियों से अमेरिका और दुनियाभर में महंगाई बढ़ने की संभावना है, जिससे बैंक ऑफ इंग्लैंड को ब्याज दरें ऊंची रखने की जरूरत पड़ सकती है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी गुरुवार को अपनी नीति बैठक में इसी तरह की ब्याज दर कटौती पर विचार कर सकता है। उम्मीद की जा रही है कि फेड भी बैंक ऑफ इंग्लैंड की तरह अपनी ब्याज दर में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती करेगा।
क्या ब्याज दरों में कटौती करेगा RBI?
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बिजनेस स्टैंडर्ड के वार्षिक BFSI इवेंट में महंगाई को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि ब्याज दर में कटौती तभी की जाएगी जब महंगाई दर लगातार 4% के आरबीआई के लक्ष्य के करीब रहेगी।
दास ने यह भी साफ किया कि “नीति में बदलाव का मतलब यह नहीं है कि अगली बैठक में तुरंत दरों में कटौती होगी।”
आरबीआई ने लगातार 10वीं बैठक में ब्याज दरें स्थिर रखीं। इसका कारण खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी से बढ़ती महंगाई को बताया गया है। अगस्त में उपभोक्ता महंगाई दर 3.65% थी, जो सितंबर में बढ़कर 5.49% हो गई, जिसमें मुख्य कारण खाने-पीने की चीजों की कीमतों में उछाल था। दास ने अक्टूबर में महंगाई दर के 5.5% से ऊपर रहने की आशंका भी जताई। (AP के इनपुट के साथ)