India’s Agriculture Exports Q1 2025: इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कृषि निर्यात 3 प्रतिशत गिरकर 5.88 अरब डॉलर रह गया। इसका कारण प्रमुख वैश्विक चुनौतियों के साथ-साथ घरेलू स्तर पर आपूर्ति की स्थितियां हैं।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा/APEDA) के चेयरमैन अभिषेक देव ने कहा कि कृषि क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन चुनौतियों में लाल सागर संकट के कारण सामान भेजने की लागत बढ़ना व हवाई मार्ग से सामान भेजना और वैश्विक स्तर पर मक्का के दाम गिरना है। इससे निर्यातक प्रभावित हुआ है।
निर्यात प्रभावित करने का अन्य कारक भारत में गैर बासमती सहित अन्य किस्मों पर प्रतिबंध है और इससे चावल का निर्यात प्रभावित हुआ है। जून में समाप्त हुई तिमाही में भारत का बासमती और गैर बासमती चावल का निर्यात 0.46 प्रतिशत गिरकर 2.8 अरब डॉलर हो गया। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि भारत अगले छह महीनों में बीते साल के चावल निर्यात तक पहुंच जाएगा।
देव ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘लॉजिस्टिक्स से संबंधित कई मुद्दे हैं जो लाल सागर संकट के कारण उत्पन्न हुए हैं। यह अभी भी जारी रहने के कारण हवाई माल ढुलाई की लागत भी बढ़ चुकी है। अमेरिका और चीन के बीच जारी मुद्दों के कारण कंटेनरों की कमी हो चुकी है।’
उन्होंने बताया, ‘भारत में इस साल मक्का की अच्छी पैदावार हुई है। देश में मक्का के दाम अधिक हैं जबकि वैश्विक स्तर पर कम हैं। इस कारण मक्का के निर्यात में गिरावट आई है।’
इस वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में विनियमिक कृषि उत्पादों जैसे गेहूं, गैर बासमती चावल, बाजरा के उत्पादों में गिरावट आई है। एपीडा ने निर्यात बढ़ाए जा सकने वाले ’25 फोकस उत्पादों’ को चिह्नित किया है। इन उत्पादों में प्याज, बासमती चावल, मूंगफली, काजू, केला, आलू, घी, अनार और अनानास भी शामिल हैं।
सरकार अगले दो से तीन महीनों में गैर कारोबारी बाधाओं को दूर करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू करने पर कार्य कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल ने बताया, ‘अगर हमारे पास मुद्दों को पहचाने और हल करने का ऑनलाइन तंत्र है तो इनका समुचित ढंग से निराकरण संभव है।’