भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत की विदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रतिबद्धताएं उल्लेखनीय रूप से बढ़ी हैं। जून 2025 में यह बढ़कर 5.03 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल के समान महीने के 2.9 अरब डॉलर से ज्यादा है। मई में यह 2.7 अरब डॉलर था। विदेश में एफडीआई में तीन तरह की वित्तीय प्रतिबद्धताएं- इक्विटी, ऋण और गारंटी शामिल होती हैं।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी प्रतिबद्धताएं 3 गुना से ज्यादा बढ़कर जून 2024 में 2.04 अरब डॉलर हो गई हैं, जो जून 2024 मं 67.07 करोड़ डॉलर थीं। यह मई 2025 के 98.71 करोड़ डॉलर से दोगुना है।
ऋण प्रतिबद्धताएं मामूली बढ़कर जून 2025 में 58.555 करोड़ डॉलर हो गया, जो जून 2024 के 45.43 करोड़ डॉलर से अधिक है। मई 2025 की 1.02 अरब डॉलर प्रतिबद्धता की तुलना में यह कम है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेश की इकाइयों के लिए गारंटी बढ़कर जून 2025 में 2.4 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले 1.8 अरब डॉलर और मई 2025 में 69.22 करोड़ डॉलर था।
रिजर्व बैंक के इकाई केंद्रित आंकड़ों से पता चलता है कि एस्टर डीएम हेल्थकेयर ने मॉरीशस स्थित एफिनिटी होल्डिंग्स के लिए 90.76 करोड़ डॉलर की गारंटी दी है, सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने नीदरलैंड स्थित अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) इंडोइल ग्लोबल बीवी के लिए 29.499 करोड़ डॉलर की गारंटी दी है। इंटीग्रिस हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी डब्ल्यूओएस एवरलाइफ होल्डिंग्स लिमिटेड के लिए 37.15 करोड़ डॉलर की इक्विटी की गारंटी दी है।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने एनएसई आईएफएससी लिमिटेड, गिफ्ट सिटी स्थित पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के लिए 32.92 करोड़ डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें 30 करोड़ डॉलर की गारंटी और 2.93 डॉलर की इक्विटी शामिल है।
अप्रैल-जून 2025 की अवधि में विदेश में एफडीआई 6.64 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें 4.3 अरब डॉलर इक्विटी और 2.34 अरब डॉलर ऋण शामिल था।
सिंगापुर 2.21 अरब डॉलर की भारतीय एफडीआई प्रतिबद्धताओं के साथ शीर्ष गंतव्य के रूप में उभरा, उसके बाद मॉरिशस और अमेरिका एक-एक अरब डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर रहे। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून 2025 में संयुक्त अरब अमीरात के लिए एफडीआई प्रतिबद्धता 45.05 करोड़ डॉलर और जर्मनी के लिए 34.565 करोड़ डॉलर रही।