रेल मंत्रालय अगले वित्त वर्ष के दौरान माल ढुलाई से कमाई के अनुमान में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी मिली है। रेलवे माल ढुलाई से 1.8 से 2 लाख करोड़ रुपये सकल यातायात प्राप्तियों (जीटीआर) का लक्ष्य रख सकता है।
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि रेलवे ने पिछले दो वित्त वर्षों में 10 फीसदी से अधिक की माल ढुलाई में वृद्धि बनाए रखी है और इस वित्त वर्ष में भी वृद्धि का यह आंकड़ा हासिल करने को तैयार है। मंत्रालय ने वित्त वर्ष 23 के बजट में 147.5 करोड़ टन माल ढुलाई का लक्ष्य रखा था। अब तक, रेलवे ने 118.5 करोड़ टन माल की ढुलाई की है।
यह सालाना आधार पर 8 फीसदी अधिक है और इस वित्त वर्ष के अंत तक 150-155 करोड़ टन ढुलाई का अनुमान है। हालांकि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर अचानक कम हो गई है और इस तिमाही में 3 फीसदी मामूली वृद्धि चिंता का कारण बन गई है।
मंत्रालय को इस साल राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है, हालांकि माल ढुलाई से ही ज्यादातर कमाई हुई है। रेलवे ने ढुलाई के वजन यानी टन भार में 8 फीसदी की वृद्धि की है और इसके मुकाबले अपने राजस्व में 16 फीसदी की वृद्धि करने में सक्षम रहा है।
अधिकारियों ने कहा, यह अधिक क्षेत्रों में माल ढुलाई पर कब्जा करने, मालगाड़ियों द्वारा तय की गई औसत दूरी में वृद्धि की वजह से उतनी ही माल ढुलाई पर भी ज्यादा राजस्व मिल गया है। इसके अलावा इसने ऑटोमोबाइल जैसे विशिष्ट सामानों के लिए अधिक विशिष्ट वैगनों की खरीद की है। इसकी ढुलाई से मालभाड़ा ज्यादा आता है।
जब किसी वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान (आरई) और आगामी वित्तीय वर्ष के बजट अनुमान (बीई) की तुलना की जाती है तो रेलवे आम तौर पर रूढ़िवादी लोडिंग अनुमानों के साथ जाता है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 23 का बीई वित्त वर्ष 22 की आरई से 5 फीसदी अधिक था, जबकि इससे पहले की वित्त वर्ष में यह 3 फीसदी था। हालांकि, दोनों वर्षों में माल ढुलाई 10 फीसदी से अधिक थी।
सूत्रों ने यह भी कहा कि मंत्रालय ने लोडिंग लक्ष्य को पार करने की उम्मीद के बावजूद वित्त वर्ष 23 में माल जीटीआर के लिए अपने संशोधित अनुमानों को 1.65 लाख करोड़ रुपये पर अपरिवर्तित रखा है। इसलिए, वित्त वर्ष 24 में जीटीआर में जोर प्रति मिलियन टन ज्यादा मालभाड़ा आने की संभावना है। अब तक, रेलवे अपना राजस्व प्रति मिलियन टन बढ़ाकर चालू वित्त वर्ष में 108 करोड़ रुपये करने में सफल रहा है, जो पिछले वित्त वर्ष में 101 करोड़ रुपये था।
सूचना के मुताबिक मंत्रालय 95 फीसदी परिचालन अनुपात का लक्ष्य रख रहा है, जो पिछले बजट की तुलना में लगभग 2 फीसदी कम है। यह अनुपात कम रहने से प्रदर्शन बेहतर होता है। इसे हासिल करने के लिए यात्री और माल ढुलाई दोनों क्षेत्रों में रेलवे को अपना राजस्व बढ़ाना होगा।
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रेलवे महामारी के पहले के अपने रेलयात्रियों की संख्या के बराबर पहुंच रहा है। यह घाटे में चलने वाला क्षेत्र है। मालढुलाई से हुई कमाई से यात्री किराये में घाटे की भरपाई होती है, ऐसे में बेहतर परिचालन अनुपात के लिए ज्यादा माल ढुलाई जरूरी होगी।
रेलवे बोर्ड के पास आगामी वर्ष के लिए एक महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा योजनाओं की सूची है, जिसमें करीब 2.7 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि रेलवे ऊर्जा गलियारा योजना के तहत 1 लाख रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए तैयार है। मिशन 3000 के तहत रेलवे ने अपने कार्गो लोडिंग को 2021-22 के 141.8 करोड़ टन से दोगुना करके 2027 तक 300 करोड़ टन करने का लक्ष्य रखा है।