facebookmetapixel
HUL vs Nestle vs Colgate – कौन बनेगा FMCG का अगला स्टार? जानें किस शेयर में है 15% तक रिटर्न की ताकत!EPF खाताधारकों को फ्री में मिलता है ₹7 लाख का कवर! जानें इस योजना की सभी खासियतPiyush Pandey Demise: ‘दो बूंद जिंदकी की…’ से लेकर ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ तक, पीयूष पांडे के 7 यादगार ऐड कैम्पेनदिवाली के बाद किस ऑटो शेयर में आएगी रफ्तार – Maruti, Tata या Hyundai?Gold Outlook: जनवरी से फिर बढ़ेगा सोना! एक्सपर्ट बोले- दिवाली की गिरावट को बना लें मुनाफे का सौदाGold ETF की नई स्कीम! 31 अक्टूबर तक खुला रहेगा NFO, ₹1000 से निवेश शुरू; किसे लगाना चाहिए पैसाब्लैकस्टोन ने खरीदी फेडरल बैंक की 9.99% हिस्सेदारी, शेयरों में तेजीभारत का फ्लैश PMI अक्टूबर में घटकर 59.9 पर, सर्विस सेक्टर में रही कमजोरीSIP Magic: 10 साल में 17% रिटर्न, SIP में मिडकैप फंड बना सबसे बड़ा हीरोनारायण मूर्ति और नंदन नीलेकणि ने Infosys Buyback से बनाई दूरी, जानिए क्यों नहीं बेच रहे शेयर

मार्च तक चाबहार बंदरगाह पर बातचीत पूरी करेगा भारत

Last Updated- December 18, 2022 | 11:35 PM IST
Chabahar port

चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल को लेकर ज्यादातर मसलों के समाधान के बाद भारत और ईरान इस समझौते को मार्च 2023 तक अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक दोनों देशों ने इस प्रस्तावित अहम अंतरराष्ट्रीय समझौते पर बातचीत तेज करते हुए भारत ने इसे चालू वित्त वर्ष के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

ईरान के बंदरगाह पर स्थित शहीद बेहिश्ती टर्मिनल भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व की परियोजना है। रूस यूक्रेन युद्ध के बाद देश की विदेश नीति वार्ताओं में इसे खास महत्त्व मिला। कई मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया के देश अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण ट्रांसपोर्ट गलियारे (आईएनएसटीसी) पर नजर रख रहे हैं, जिससे रूस, भारत और यूरोप के साथ व्यापार हो सके।

यह गलियारा मुंबई को मॉस्को से जोड़ेगा, जो एक मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क है। इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि दोनों देश व्यापक रूप से अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ढांचे के तहत काम करने को सहमत हुए हैं जबकि इसके अंतिम ब्योरे पर कूटनीतिक स्तर पर काम होगा।
इसके पहले बातचीत में तब गतिरोध आ गया था, जब ईरान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ढांचे के तहत काम करने से इनकार कर दिया था। ईरान का कहना था कि इसके लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होगी, जबकि भारत विवाद समाधान में पारदर्शिता के मसले पर अडिग था।

यह भी पढ़े: Advance Tax: अग्रिम कर संग्रह 13 फीसदी बढ़ा

अधिकारी ने सलाह दिया कि अगर प्रक्रिया संबंधी बाधाओं को दरकिनार कर दिया जाए तो भारत को अप्रत्याशित न्यायाधिकरण शर्तों पर सहमत होने पर भविष्य में बातचीत को लेकर जोखिम रहेगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि समझौते की गति को लेकर सरकार के कुछ हिस्सेदारों में असंतोष है। उन्होंने कहा, ‘यह विचार किया जा रहा था कि अगर पंचाट का मसला सौदे को रोकता है तो हम मसले पर निश्चित रूप से अपनी राय बदल सकते हैं, वहीं दूसरा पक्ष (ईरान) भी वार्ता में तेजी लाने को इच्छुक था।’ इसके अलावा ईरान के रास्ते वस्तुओं की आवाजाही के लिए वित्तीय संस्तानों को समर्थन, जिसे अमेरिका के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है और सीम शुल्क व अन्य शुल्कों में स्पष्टता शामिल है। इन मसलों का समाधान दोनों देशों ने कर लिया है।

First Published - December 18, 2022 | 11:35 PM IST

संबंधित पोस्ट