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सोचना होगा कि रूसी तेल खरीदने में कितना फायदा: अर्थशास्त्री अभिजित बनर्जी

प्रख्यात अर्थशास्त्री अभिजित बनर्जी ने कहा कि हमारे कुछ निर्यात 25 प्रतिशत शुल्क पर ही प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, इसलिए शायद 50 प्रतिशत शुल्क कोई मायने नहीं रखता है।

Last Updated- August 11, 2025 | 9:45 AM IST
Nobel laureate Abhijit Banerjee
प्रख्यात अर्थशास्त्री अभिजित बनर्जी (फाइल फोटो)

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजित बनर्जी ने कहा है कि डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा के बाद भारत को विचार करना चाहिए कि रूस से सस्ते तेल का आयात फायदेमंद है या नहीं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के कारण ही इस शुल्क का ऐलान किया है, जो 27 अगस्त से लागू होगा।

बनर्जी ने बीएमएल मुंजाल विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के मौके पर कहा, ‘हमें इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा कि क्या रूस से तेल आयात करने में कोई फायदा है या फिर अमेरिका जाकर यह कहना होगा कि अगर हम रूसी तेल का आयात बंद कर दें, तो क्या वे इस शुल्क को हटा लेंगे।’चूंकि भारी शुल्क से भारत द्वारा अमेरिका को किए जाने वाले 27 अरब अमेरिकी डॉलर के गैर-छूट वाले निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है, इसलिए रूस से तेल आयात रोकने या कम करने की चर्चा हो रही है।

हमारे कुछ निर्यात 25 प्रतिशत शुल्क पर ही प्रतिस्पर्धी नहीं हैं: बनर्जी

प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा, ‘इसके बारे में सोचना गलत नहीं है। हमारे कुछ निर्यात 25 प्रतिशत शुल्क पर ही प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, इसलिए शायद 50 प्रतिशत शुल्क कोई मायने नहीं रखता।’ भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है और उसने जुलाई में प्रतिदिन 16 लाख बैरल तेल खरीदा था। हालांकि, अगस्त और सितंबर के लिए कोई ऑर्डर नहीं दिया गया है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि रूसी तेल पर छूट अब घटकर लगभग दो अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रह गई है। यह पूछने पर कि क्या भारत को चीन से निवेश पर लगे प्रतिबंध हटाने चाहिए, बनर्जी ने कहा, ‘हमें इसे चीन के साथ व्यापार वार्ता के जरिये जुड़ना चाहिए।’

चीन, आसियान से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण

उन्होंने यह भी कहा, ‘मुझे लगता है कि ऐसा करने का यह सही समय है। चीन को भी यह सोचने की जरूरत है कि वे अमेरिका के साथ कैसे व्यापार करेंगे और उनके पास क्या लाभ हैं।’ यह पूछने पर कि क्या भारत को आसियान व्यापार समूह में शामिल होना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘शायद, मुझे लगता है कि हमें ऐसा करना चाहिए। मुझे लगता है कि चीन, आसियान से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।’

First Published - August 11, 2025 | 9:45 AM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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