भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आंतरिक व्यापार समझौता लागू होने के 6 माह के दौरान इसके इस्तेमाल की दर औसतन 90 प्रतिशत रही है। हालांकि इस अवधि के दौरान दोनों देशों के बीच मूल्य के हिसाब से कारोबार पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 25 प्रतिशत कम हुआ है।
वाणिज्य विभाग के शुरुआती अनुमान और आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया को निर्यात के दौरान तत्काल छूट पाने वाले श्रम पर आधारित क्षेत्र, जहां 5 प्रतिशत से शून्य शुल्क हो गया है, में शुल्क मुक्त पहुंच का लाभ मिला है।
इस मामले के जानकार एक व्यक्ति ने कहा कि शुल्क छूट के प्रमुख लाभार्थियों में रेडीमेड गार्मेंट, इलेक्ट्रिकल ट्रांसमिशन लाइनों जैसे इंजीनियरिंग उत्पाद, समुद्री उत्पाद जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
उपरोक्त उल्लिखित व्यक्ति ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘उन क्षेत्रों में निर्यात में वृद्धि (जनवरी-जून के दौरान) हुई है, जिनमें भारत को शुल्क छूट मिली हुई है। उदाहरण के लिए यह टेक्सटाइल के मामले में सही है। वाणिज्य विभाग विश्लेषण कर रहा है कि क्या ईसीटीए के तहत शुल्क छूट का इस्तेमाल करके निर्यात (ऑस्ट्रेलिया को) बढ़ा है, या निर्यातक सामान्य तरीके से अपने उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं और वे शुल्क छूट का लाभ नहीं उठा रहे हैं।’
भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता (ईसीटीए) 29 दिसंबर, 2022 से लागू है। ऑस्ट्रेलिया ने तरजीही बाजार पहुंच की सुविधा मुहैया कराई है, भारत को उम्मीद है कि उसका लाभ मिलेगा।
ऑस्ट्रेलिया में 6,500 टैरिफ लाइन में से 51 प्रतिशत पर पहले ही शून्य आयात शुल्क है। वहीं 3,185 टैरिफ लाइन पर 49 प्रतिशत शुल्क था, जिसे व्यापार समझौते के तहत शून्य किया गया है। 3,185 टैरिफ लाइन में से 113 टैरिफ लाइन के मामले में 5 साल तक शुल्क मुक्ति मिलेगी। 113 टैरिफ लाइन पर शून्य शुल्क की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा, ‘अन्य एफटीए के मामले में उपयोग की दर 50 से 60 प्रतिशत रही है। बहरहाल ऑस्ट्रेलिया के मामले में कुल मिलाकर औसत उपयोग दर कम से कम 90 प्रतिशत है।’
मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का इस्तेमाल किस तरीके से हो रहा है, इसका एक मानक एफटीए के उपयोग की दर है। वहीं मात्रा के हिसाब से निर्यात में वृद्धि के आंकड़ों के बगैर विश्लेषण अपूर्ण है।
जनवरी-जून के दौरान ऑस्ट्रेलिया को निर्यात घटकर 3.65 अरब डॉलर रह गया। निर्यात में कमी का यह आंकड़ा शेष दुनिया को भारत से होने वाले निर्यात में आ रही कमी का प्रतिबिंब है, जो भूराजनीतिक तनावों और बढ़ी महंगाई के कारण सुस्त मांग से प्रभावित है।
जनवरी मार्च के दौरान निर्यात में तेज संकुचन (अप्रैल में 0.26 प्रतिशत वृद्धि को छोड़कर) आया है। वहीं वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जून में ऑस्ट्रेलिया भेजी जाने वाली खेप में 24.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह 1.07 अरब डॉलर हो गया है। जून में समाप्त 6 महीने की अवधि के दौरान आयात में भी संकुचन आया है। यह एक साल पहले के 8.6 अरब डॉलर की तुलना में घटकर 7.89 अरब डॉलर रह गया है। यह शेष विश्व के साथ भारत के आयात की धारणा के मुताबिक ही है।
ईसीटीए के मुताबिक भारत ने अपने 70 प्रतिशत से ज्यादा टैरिफ लाइन पर ऑस्ट्रेलिया को तरजीही पहुंच की सुविधा दी है, जिसमें कच्चे माल और कोयला, खनिज अयस्क व शराब जैसी मध्यवर्ती वस्तुएं शामिल हैं।