भारत और अमेरिका को व्यापार नीति मंच (टीपीएफ) के तहत 2022 के मध्य तक ‘विशिष्ट व्यापारिक परिणाम’ की उम्मीद है, जिसे 4 साल के लंबे अंतराल के बाद बहाल किया गया है।
दोनों देश मंच के माध्यम से नियमित रूप से काम करके द्विपक्षीय कारोबार संबंधी शेष चिंताओं का समाधान निकालेंगे। टीपीएफ के तहत कृषि, गैर कृषि सामान, सेवाएं, निवेश और बौद्धिक संपदा सहित 5 व्यापक क्षेत्रों में कार्यसमूहों को मार्च, 2022 तक सक्रिय किया जाएगा, जिससे आपसी चिंताओं के मसलों का समाधान हो सके।
दोनों देशों ने ‘लक्षित शुल्क कटौती’ की संभावनाओं पर अपने विचारों को लेकर चर्चा की।
मंगलवार को भारत और अमेरिका ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भारत-अमेरिका टीपीएफ की 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक की। इसकी अध्यक्षता संयुक्त रूप से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी व्यापार मंत्री (यूएसटीआर) कैथरिन ताई ने की।
मंगलवार को एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘मंत्रियों ने द्विपक्षीय बातचीत बढ़ाकर बाजार तक पहुंच के कुछ बकाया मसलों को सुलझा लेने पर भारत और अमेरिका के किसानों व कारोबारियों को होने वाले ठोस लाभ पर चर्चा की। दोनों पक्ष कृषि एवं खाद्य उत्पादों के कारोबार को बढ़ाने के लिए टीपीएफ के कृषि वस्तुओं के कार्यसमूह माध्यम से लगातार काम करने पर सहमत हुए हैं। साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य, पौधों के स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा व अन्य मसलों पर 2022 में तकनीकी बातचीत करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई है।’
इस मंच को ऐसे समय में फिर से सक्रिय किया गया है जब अमेरिका, भारत के सबसे बड़े कारोबारी साझेदार के रूप में उभरा है और चीन पीछे छूट गया है। संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों देशों के बीच वाणज्यिक व्यापार चालू साल में 100 अरब डॉलर पार कर जाने की संभावना है। टीपीएफ को भी महत्त्व मिला है, क्योंकि इस साल की शुरुआत में अमेरिकी सरकार ने साफ किया था कि फिलहाल वह भारत के साथ किसी छोटे कारोबारी समझौते पर हस्ताक्षर करने को इच्छुक नहीं है।
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार भी है और 2020-21 में 52 अरब डॉलर का माल भेजा गया था। देशों द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘मंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापाारिक संबंध बनाने और दोनों देशों में कामकाजी लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में टीपीएफ के महत्त्व को रेखांकित किया।’दोनों देशों ने डिजिटल ट्रेड, कृषि, व्यापारिक संबंध, श्रम एवं पर्यावरण, बेहतर नियामकीय गतिविधियों और मानकों व अनुरूपता मूल्यांकन जेसे महत्त्वपूर्ण मसलों पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करने की उम्मीद जताई है।
मंत्रियों ने भारत से आम और अनार व अनार दाना और अमेरिका से भारत में चेरी और पशुओं का चारा व अल्फाफा घास की बाजार तक पहुंच को लेकर भी कामकाज को अंतिम रूप देने का फैसला किया। उदाहरण के लिए अमेरिका सहमत हुआ है कि भारत के अंगूर की अमेेरिका तक पहुंच के लिए काम पूरा किया जाएगा और भारत आपसी निर्यात प्रमाणपत्र को अंतिम रूप देने पर सहमत हुआ है, जिससे कि अमेरिका के पोर्क उत्पादों के आयात को अनुमति मिल सके।
भारत ने अमेरिका की जनरलाइज्ड सिस्टम आफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) के तहत अपना लाभार्थी का दर्जा बहाल किए जाने में भी दिलचस्पी जताई है। ट्रंप प्रशासन ने 2019 में भारत को जीएसपी योजना से बाहर कर दिया था, जिसके तहत विकासशील देशों को विशेष छूट दी जाती है। भारत में बहुत ज्यादा कारोबारी व्यवधान का आरोप लगाते हुए ऐसा किया गया था। 2018 में भारत जीएसपी योजना का सबसे बड़ा लाभार्थी था। बयान में कहा गया है, ‘अमेरिका ने इसे संज्ञान में लिया है कि इस पर विचार हो सकता है, जिसकी पात्रता का दायरा अमेरिकी कांग्रेस द्वारा निर्धारित की जाती है।’ दोनों मंत्रियों ने कामकाजी लोगों को रोजगार व अवसर मुहैया कराने के मसले पर भी चर्चा की। यूएसटीआर द्वारा साझा किए गए बयान के मुताबिक, ‘ताई ने कामगार केंद्रित बाइडन-हैरिस प्रशासन की नीति की प्रमुख बातों को रखा।’
