वैश्विक स्तर पर वित्तीय सेवा प्रदान करनेवाली कंपनी मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि दुनिया भर में छाई मंदी अब अपने अंतिम दौर में है हालांकि यह तभी हो सकता है जब कमोडिटी का बाजार ठंडा पड़े।
मॉर्गन स्टैनली ने भारत मेंअपने म्युचुअल फंड धारकों को जारी न्यूजलेटर में कहा कि वैश्विक शेयर बाजार में छाई मंदी अब अपनी चरण सीमा पर पहुंच चुकी है और कमोडिटी की कीमतों में गिरावट बाजार की फिर से तंदुरस्त स्थिति में पहुंच जाने के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए तेल की कीमतों में होनेवाले उतार-चढ़ाव के महत्व की विस्तार से चर्चा करते हुए न्यूजलेटर में कहा गया है कि इस वर्ष की पहली छमाही में अब तक जितने भी तेल निर्यातक देश है उन देशों के शेयर बाजार नई उचाइंयों पर पहुंच गए जबकि तेल का आयात करनेवाले देशों के शेयर बाजार पर इसका बहुत प्रतिकूल असर पडा और यह 15 प्रतिशत तक नीचे पहुंच गया।
इस न्यूजलेटर में कहा गया है कि तेल का आयात ज्यादा करने के कारण भारत का सापेक्ष प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा। इसका कारणों को स्पष्ट करते हुए इसमें कहा गया है कि तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव को कम करने केलिए भारत केपास निर्यात केलिए कोई अन्य कमोडिटी का विकल्प नहीं था और साथ ही कमोडिटी का कारोबार करनेवाली ऐसी कुछ ही सूचीबदध्द कंपनियां हैं। इस न्यूजलेटर में इस बात की और भी इशारा किया गया है कि महंगाई विश्व भर के शेयर बाजरों के लुढ़कने का बहुत बड़ा कारण नहीं रहा है।
मॉर्गन स्टैनली के अनुसार हाल के दिनों में महंगाई सभी देशों के केन्द्रीय बैंकों के लिए मुख्य चिंता का कारण रहा है लेकिन विश्व अर्थव्यवस्था के लिए इससे भी ज्यादा खतरा वैश्विक मंदी से है। मॉर्गेन स्टैनली के न्युजलेटर में एक बात कही गई है कि मेटीरियल और एनर्जी के शेयरों में गिरावट से और मंदी की गुंजाइश बनती है और साथ ही विकास की संभावनाओं के कम होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि एनर्जी सेक्टर का प्रदर्शन 1970 केअपने प्रदर्शन को काफी पीछे छोड़ चुका है और सिर्फ साल 2000 के शुरूवाती समय में देखने को मिला था जब टेक्नोलॉजी के शेयरों ने अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया था। मॉर्गन स्टैनली के अनुसार विश्व में हर तरफ वैश्विक विकास की दर धीमी पड़ती जा रही है और विकास की संभावनाओं को फिर से समायोजित करना विश्व भर में छाई मंदी के खात्मे का संदेश दे सकती है।