केंद्र सरकार ने सोमवार को जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य देश में व्यापार करने की सुगमता (Ease of Doing Business) और आम लोगों के जीवन को सरल (Ease of Living) बनाना है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह विधेयक लोकसभा में भारी शोरगुल के बीच पेश किया, जहां विपक्ष बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण समेत अन्य मुद्दों पर बहस की मांग कर रहा था।
इस विधेयक के ज़रिए 16 केंद्रीय अधिनियमों (Central Acts) के 355 प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा, जिनमें से:
यह विधेयक 2023 में पारित पहले जन विश्वास कानून की तर्ज़ पर लाया गया है, जिसमें 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया था।
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यह विधेयक अब लोकसभा की चयन समिति (Select Committee) को भेज दिया गया है, जो अगला संसद सत्र शुरू होने से पहले अपनी रिपोर्ट देगी। समिति के सदस्य लोकसभा अध्यक्ष द्वारा तय किए जाएंगे।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, “जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 भारत की नियामक सुधार यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के सिद्धांत पर आधारित है और सतत आर्थिक विकास के लिए एक उत्प्रेरक साबित होगा।”
इस विधेयक से 10 मंत्रालय/विभाग और 16 केंद्रीय कानून प्रभावित होंगे, जिनमें शामिल हैं:
जन विश्वास विधेयक, 2025 देश में न्यायिक प्रणाली पर दबाव कम करने, व्यापार में पारदर्शिता लाने, और छोटे अपराधों के लिए कड़े दंडों को समाप्त करने की दिशा में सरकार का एक सुधारात्मक कदम है। इससे न केवल व्यापारियों और उद्यमियों को राहत मिलेगी, बल्कि आम नागरिकों को भी सरल, न्यायोचित और पारदर्शी व्यवस्था का लाभ मिलेगा।
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