वस्तु एवं सेवा कर (GST) पैनल मोटे अनाज (millet) पर आधारित उत्पदों के वर्गीकरण की योजना बना रहा है, जिससे उन पर लागू कर की दरों का निर्धारण किया जा सके।
सूत्रों के मुताबिक केंद्र व राज्यों के अधिकारियों से बना फिटमेंट पैनल उन उत्पादों का वर्गीकरण करेगा, जिसमें मोटे अनाज की प्रमुखता से इस्तेमाल किया गया है।
इस समय मोटे अनाज पर आधारित किसी खाद्य उत्पाद को GST के प्रावधानों के तहत शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में इस तरह के उत्पाद पर इस समय शेष प्रविष्टि के तहत 18 प्रतिशत कर लगता है।
इस मामले से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘हेल्थ मिक्स में पैनल मोटे अनाज व अन्य तत्वों का अनुपात देखेगा और इस आधार पर आकलन किया जाएगा कि वर्गीकरण के तहत वह उत्पाद किस श्रेणी में आता है।’
इस समय मोटे अनाज पर आधारित स्वास्थ्य उत्पादों में कम मात्रा में आटा, मूंगफली पाउडर, दाल आदि होता है, जिसे मिलेट्स की तरह ही भूना जाता है। वहीं इलायची, काली मिर्च जैसे कुछ मसाले भी स्वाद के लिए डाले जाते हैं। इन सभी उत्पादों को मिलाकर पाउडर बनाया जाता है और उसे बिक्री के लिए डिब्बाबंद किया जाता है।
मई के अंत या जून में संभावित GST परिषद की बैठक में प्रस्तावित वर्गीकरण पेश किया जा सकता है।
प्रमुख एफएमसीजी कंपिनयां इस सेग्मेंट पर दांव लगा रही हैं और मोटे अनाज पर आधारित स्वस्थ खानपान के विकल्प के रूप में इसे पेश कर रही हैं। सरकार द्वारा मोटे अनाज पर आधारित उत्पादों पर जोर देने के बाद कंपनियां क्षेत्र में उतर रही हैं। इससे इस तरह के अनाज का उत्पादन करने वाले किसानों की आमदनी बढ़ने की संभावना है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘तैयार खाद्य वर्गीकरण की विभिन्न श्रेणियों में आते हैं। हमें यह देखना है कि मोटे अनाज पर आधारित खाद्य को कहां रखा जाए और उसी के मुताबिक उन पर कर की दरें तय होंगी।’
इस मसले पर फरवरी में हुई GST परिषद की पिछली बैठक में विचार किया गया था। फिटमेंट पैनल ने सिफारिश की थी कि मोटे अनाज पर आधारित खाद्य पर कर घटाकर शून्य या 5 प्रतिशत किया जाए, जो पैकेजिंग पर निर्भर होगा।
पैनल ने सुझाव दिया है कि अगर किसी खाद्य में कम से कम 70 प्रतिशत मोटे अनाज होते हैं और उनकी खुले में बिक्री की जाती है तो उस पर कर की दर शून्य होनी चाहिए और अगर उसे पैकेट बंद और लेवल लगाकर बेचा जाता है तो उस पर 5 प्रतिशत कर लगाया जाना चाहिए।
बरहाल परिषद ने इस मामले को आगे और चर्चा के लिए टाल दिया। परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘मोटे अनाज के उत्पादों पर कर लगाने के बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है। तैयार खाद्य में मोटे अनाज के प्रतिशत को लेकर चर्चा हुई थी।’
उद्योग ने अनुरोध किया था कि इस तरह के उत्पाद को सत्तू की श्रेणी में रखा जाए। सत्तू में चने और मोटे अनाज का मिश्रण होता है, जिसमें आटा, दाल का आटा बीन्स और मसूर का आटा शामिल होता है।
केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री के भाषण में मोटे अनाज पर विशेष चर्चा हुई थी। वित्त मंत्री ने कहा था कि वह चाहती हैं कि भारत को मिलेट का वैश्विक केंद्र बनाया जाए। इस समय भारत मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।