सरकार को भारत – संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) व्यापार सौदे में रियायती शुल्क दरों की समीक्षा व संभावित संशोधन करना चाहिए। दिल्ली स्थित ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में यह मांग सोना और चांदी के आयात में तेजी से उछाल के मद्देनजर की है।
यूएई से वर्ष 2023-24 में सोना और चांदी के आयात की खेप आशातीत रूप से 210 प्रतिशत बढ़कर 10.7 अरब डॉलर हो गई जबकि इस अवधि के दौरान पश्चिम एशिया के देशों से इन उत्पादों के आयात में 9.8 प्रतिशत की गिरावट आई। भारत – यूएई के बीच कारोबार मई 2022 के बाद तेजी से बढ़ा।
भारत ने समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) के तहत चांदी के असीमित मात्रा के आयात पर सीमा शुल्क में 7 प्रतिशत की रियायत दी है जबकि 160 टन सोने के आयात पर एक प्रतिशत की रियायत दी है। आयात ने उच्च हालिया राजकोषीय घाटे में योगदान दिया था।
दरअसल सोना और चांदी सामान्य कारोबार उत्पाद की जगह वित्तीय इंस्ट्र्मेंट के रूप में अधिक भूमिका निभाते हैं। लिहाजा भारत को मुक्त व्यापार समझौते में इन उत्पादों को शामिल नहीं करना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, ‘यदि अनिवार्य हो तो फैसला आरबीआई को करना चाहिए न कि वाणिज्य विभाग को।’