अगले वित्त वर्ष की तैयारी अक्टूबर से शुरू होने वाली है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार चाहती है कि सभी मंत्रालय मौजूदा और अगले साल का बजट तैयार करते समय यथार्थवादी बनें।
सरकार शीतकालीन सत्र में पहला पूरक बजट पेश करेगी और उसके बाद बजट सत्र में दूसरा पूरक बजट आएगा। इन दोनों में चालू वित्त वर्ष की व्यय जरूरतों को ध्यान में रखा जाएगा, वहीं मंत्रालयों को चुनी गई अगली सरकार के पूर्ण बजट आने तक अतिरिक्त मांग का मौका नहीं मिलेगा।
वक्त कम बचे रहने का जिक्र करते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अधिकारियों को अप्रत्याशित आकस्मिकताओं का ध्यान रखना चाहिए। विभिन योजनाओं की जरूरतों का अनुमान लगाना चाहिए क्योंकि बजट सत्र की अवधि के बारे में अब तक पता नहीं है और ऐसे में उनके सामने नकदी का संकट नहीं आना चाहिए।’ वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि सितंबर के पहले सप्ताह में बजट अधिसूचना आ जाएगी। बजट के पहले की बैठकें अक्टूबर से शुरू होंगी।
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लेखा महानियंत्रक के मुताबिक 2023-24 की पहली तिमाही में कोयला मंत्रालय का कुल व्यय बजट अनुमान का 87 प्रतिशत रहा है। रेलवे और परिवहन मंत्रालय ने वित्त वर्ष की पहली तिमाही में क्रमशः बजट का 40 प्रतिशत औऱ 39 प्रतिशत खर्च किया है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने बजट अनुमान का 1 प्रतिशत जबकि पर्यटन मंत्रालय ने इस अवधि के दौरान बजट का 4 प्रतिशत खर्च किया है।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के अंत तक अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य का 25.3 प्रतिशत यानी 4.5 लाख करोड़ रुपये इस्तेमाल किया है। केंद्र का पहली तिमाही में कुल खर्च 10.5 लाख करोड़ रुपये या बजट अनुमान का 23.3 प्रतिशत रहा है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 24 प्रतिशत था।
सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल व्यय में 7.72 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते और 2.78 लाख करोड़ रुपये पूंजी खाते में खर्च हुए हैं। कुल राजस्व खर्च में 2.43 लाख करोड़ रुपये ब्याज भुगतान पर और 87,035 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी पर खर्च हुए हैं। वित्त वर्ष 2023 में मंत्रालयों ने संशोधित अनुमान से ज्यादा खर्च कर दिया था। कानून व न्याय मंत्रालय ने संशोधित अनुमान से 168 प्रतिशत अधिक खर्च कर दिया था।