त्रिशूर स्थित निजी ऋणदाता धनलक्ष्मी बैंक के स्वतंत्र निदेशक श्रीधर कल्याणसुंदरम ने 16 सिंतबर को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने त्यागपत्र में बोर्ड के सदस्यों से ‘राइट इश्यू’ को लेकर मतभेद के मुद्दे का उल्लेख किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य सदस्यों को ‘बैंकिंग के बारे में पर्याप्त जानकारी का अभाव’ है। उनके इस त्यागपत्र से बैंक में विवादों की सूची और लंबी हो गई है।
आरपी समूह के प्रमुख रवींद्रन पिल्लै ने 30 सितंबर को हुई 96वीं सालाना आम बैठक (एजीएम) में कल्याणसुंदरम को हटाने के बारे में विशेष प्रस्ताव जारी किया था। पिल्लै के पास इस बैंक के 9.99 प्रतिशत शेयर हैं। बैंक और सीईओ जेके श्रीनिवासन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों के जवाब में कोई उत्तर नहीं दिया।
कल्याणसुंदरम ने लिखा, ‘बोर्ड के सदस्यों ने कई बार मेरे सुझाव मूल्यवान होने के बावजूद जानबूझकर नकारा/टाल दिया/ खारिज कर दिया। बोर्ड के सदस्यों ने प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी के आक्रामक व्यवहार का साथ दिया। यह सार्वजनिक रिकार्ड (वर्नाकुलर प्रेस) में भी दर्ज है कि वे साझेदारों और निदेशकों के हितों की कम रक्षा करते थे। उनके अनुसार काम नहीं करने वालों में मैं पहला निदेशक नहीं हूं। कई निदेशक पहले ही त्यागपत्र दे चुके हैं।’
कल्याणसुंदरम ने मुख्य तौर पर बैंक के राइट इश्यू को लेकर ’81 सवाल’ उठाए थे। इन सवालों को हल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘यह मुद्दे आज तक सुलझे नहीं हैं जबकि विभिन्न सूमहों ने कई कानूनी राय दी है और जून/जुलाई के दौरान कई बैठकों का दौर हो चुका है।’
बैंक के राइट इश्यू को मार्च, 2022 को बैंक के बोर्ड ने मंजूरी दी थी। उन्होंने शेयर धारकों के इस आरोप को उठाया कि प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी की 2021 में हुई नियुक्ति उचित नहीं थी और उनमें विसंगतियां थीं।