Year Ender: देश के Banking Sector में अगले साल से बड़े बदलाव आने वाले हैं। सरकार की योजना है कि ज्यादा बड़े और वैश्विक स्तर के बैंक बनाए जाएं, ताकि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिले। अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ही संपत्ति के लिहाज से दुनिया के टॉप 50 बैंकों में शामिल है। SBI 43वें नंबर पर है, जबकि प्राइवेट सेक्टर का HDFC बैंक 73वें स्थान पर है। सरकार का मानना है कि बड़े बैंक बनाकर अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया जा सकता है।
पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत को कई बड़े और विश्व स्तर के बैंक चाहिए। उन्होंने बताया कि इस दिशा में काम शुरू हो चुका है। सरकार ने रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों से बातचीत शुरू की है। इससे साफ है कि सरकारी बैंकों में मर्जर की प्रक्रिया तेज होने वाली है। पहले भी सरकार ने दो दौर में बैंकों को मिलाकर बड़ा बनाया था। 2019 में सबसे बड़ा मर्जर हुआ, जब चार बड़े मर्जर घोषित किए गए थे। 2020 से ये मर्जर लागू हुए।
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को पंजाब नेशनल बैंक में मिलाया गया। सिंडिकेट बैंक को कैनरा बैंक के साथ जोड़ा। इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में शामिल किया। आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ मर्ज किया। इससे पहले 2019 में देना बैंक और विजया बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में मिलाया गया। SBI के साथ भी कई मर्जर हुए। 2017 में SBI के पांच सहयोगी बैंक और भारतीय महिला बैंक को SBI में जोड़ा गया। इससे SBI की संपत्ति 44 लाख करोड़ रुपये हो गई, साथ में 22,500 ब्रांच और 58,000 ATM।
SBI ने 2016 में अपने बोर्ड से प्रस्ताव दिया था कि उसके पांच सब्सिडियरी और भारतीय महिला बैंक को खुद में मिलाया जाए। ये 1 अप्रैल 2017 से लागू हुआ। इससे पहले 2008 में स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र और 2010 में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर को SBI में मर्ज किया गया। अब सरकार IDBI बैंक को प्राइवेट करने की कोशिश में है। डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सेक्रेटरी अरुणिश चावला ने उम्मीद जताई कि ये सौदा मार्च 2026 तक पूरा हो जाएगा। 2019 में सरकार ने IDBI बैंक में अपनी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) को बेची थी।
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सरकारी बैंक अब मुनाफे की राह पर मजबूती से चल रहे हैं। ये 12 बैंक कुल कारोबार के करीब 60 प्रतिशत हिस्से पर काबिज हैं। 2025-26 के पहले छह महीनों में इन्होंने 93,675 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। ये पिछले साल के अप्रैल-सितंबर के 85,520 करोड़ से 10 प्रतिशत ज्यादा है। ट्रेंड देखें तो FY26 के अंत तक ये मुनाफा 2 लाख करोड़ के पार जा सकता है। पिछले वित्त वर्ष में PSU बैंकों ने रिकॉर्ड 1.78 लाख करोड़ का मुनाफा कमाया, जो FY24 के 1.41 लाख करोड़ से 26 प्रतिशत ज्यादा था।
Banking Sector में ये सुधार मर्जर और बेहतर मैनेजमेंट से आया है। सरकार की कोशिश है कि बैंक मजबूत हों, ताकि अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिले। प्राइवेट सेक्टर में भी हलचल है। विदेशी निवेशक भारतीय बैंकों में पैसा लगा रहे हैं। मिसाल के तौर पर, जापान की सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (SMBC) ने मई में यस बैंक में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया। ये सौदा 13,483 करोड़ रुपये में सितंबर में पूरा हुआ।
अक्टूबर में UAE की दूसरी सबसे बड़ी बैंक एमिरेट्स एनबीडी ने RBL बैंक में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी 26,853 करोड़ में खरीदी। S&P ग्लोबल रेटिंग्स की एसोसिएट डायरेक्टर दीपाली सेठ छाबरिया ने कहा कि भारत के वित्तीय संस्थान विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक हैं। वजह है सकारात्मक स्ट्रक्चरल ट्रेंड और सपोर्टिव रेगुलेटरी माहौल। उन्होंने उम्मीद जताई कि लोन ग्रोथ 11-12 प्रतिशत रहेगी, जिसमें रिटेल लोन सबसे तेज बढ़ेंगे।
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इंश्योरेंस सेक्टर में भी इस साल बड़े बदलाव हुए। संसद ने सबका बीमा सबकी रक्षा (इंश्योरेंस लॉज अमेंडमेंट) बिल 2025 पास किया। इससे सेक्टर में 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का रास्ता साफ हो गया। जेनेराली सेंट्रल लाइफ इंश्योरेंस के MD और CEO अलोक रुंगटा ने कहा कि ये सबसे बड़ा कदम है। इससे नया कैपिटल आएगा, ग्लोबल एक्सपर्टीज मिलेगी और नए आइडिया आएंगे। विदेशी प्लेयर्स आएंगे और कॉम्पिटिशन बढ़ेगा।
साथ ही, GST रेट में कटौती हुई। 22 सितंबर से इंडिविजुअल पॉलिसी पर 18 प्रतिशत GST पूरी तरह हटा दिया गया। इससे प्रीमियम सस्ते हो गए। जनरल इंश्योरेंस में अस्पतालों और हेल्थ इंश्योरर्स के बीच कैशलेस ट्रीटमेंट पर झगड़ा हुआ। आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस के MD और CEO मयंक बाथवाल ने कहा कि GST हटने से अफोर्डेबिलिटी बढ़ी। नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज और बीमा सुगम जैसे प्लेटफॉर्म्स से खरीद, सर्विसिंग और क्लेम्स आसान हुए। इससे सिस्टम में भरोसा बढ़ा और ज्यादा लोग इंश्योरेंस लेने लगे।
सेक्टर में विदेशी कैपिटल का नेट इनफ्लो हुआ। कोटक महिंद्रा जनरल इंश्योरेंस, जो कोटक महिंद्रा बैंक की प्रमोटर है, ने फरवरी में अपनी 70 प्रतिशत हिस्सेदारी 5,560 करोड़ में बेचने का फैसला किया। उधर, विदेशी कैपिटल के आउटफ्लो की मिसाल है अलियांज जर्मनी का बजाज फिनसर्व से निकलना। बजाज फिनसर्व ने अलियांज एसई की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी बजाज अलियांज जनरल इंश्योरेंस और बजाज अलियांज लाइफ इंश्योरेंस में 24,180 करोड़ में खरीदने का प्रस्ताव रखा। ये सौदे सेक्टर को और मजबूत बना रहे हैं।
एक्सपर्ट के मुताबिक, बैंकिंग और इंश्योरेंस दोनों सेक्टर में ये बदलाव अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार दे रहे हैं। सरकार की कोशिश है कि बड़े संस्थान बनें, जो ग्लोबल स्तर पर मुकाबला कर सकें। विदेशी निवेश से तकनीक और कैपिटल आ रहा है, जो ग्रोथ को सपोर्ट करेगा। PSU बैंक मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि प्राइवेट सेक्टर में डील्स हो रही हैं। इंश्योरेंस में FDI और GST कट से आम आदमी को फायदा मिल रहा है। ये ट्रेंड अगले साल और तेज होंगे।
(PTI के इनपुट के साथ)