वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अब तक जिन पांच बड़े राज्यों ने अपने बजट पेश किए हैं उनमें उत्तर प्रदेश सबसे अधिक आबादी वाला और प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से सबसे गरीब है। हालांकि, राजस्व अधिशेष के मामले में उत्तर प्रदेश ने अपना प्रदर्शन कमजोर होने नहीं दिया है। खर्च बढ़ने के बावजूद इसकी राजकोषीय स्थिति अप्रभावित रही है। राज्य सरकार ने 92,000 नए रोजगारों की घोषणा की है और 9 लाख संविदा (आउटसोर्स्ड) कर्मियों का वेतन बढ़ाया है। मेधावी छात्राओं को निःशुल्क स्कूटी देने की भी घोषणा की गई है।
गुजरात और ओडिशा भी राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के लिहाज से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। अनुमान जताया जा रहा है कि ये दोनों राज्य भी राजस्व अधिशेष की स्थिति में बने रहेंगे। मगर देश के सर्वाधिक संपन्न राज्यों में एक गुजरात का हाल इन तीनों राज्यों में कई मामलों में बेहतर है। वर्ष 2022-23 में इसकी प्रति व्यक्ति आय उत्तर प्रदेश की तुलना में तीन गुना थी जबकि योगी सरकार शासित राज्य की तुलना में इसकी अर्थव्यवस्था का आकार थोड़ा कम ही है। उसी वर्ष ओडिशा की प्रति व्यक्ति आय उत्तर प्रदेश का 1.7 गुना थी। मगर उत्तर प्रदेश की तुलना में ओडिशा की अर्थव्यवस्था मात्र एक तिहाई ही है।
संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि इन तीनों राज्यों की आर्थिक हालत काफी भिन्न है मगर राजस्व संतुलन के मामले में इनके बीच समानताएं नजर आ रही हैं। उत्तर प्रदेश और उसके बाद ओडिशा राजस्व प्राप्तियों के लिए केंद्र से राजस्व में मिलने वाली हिस्सेदारी एवं अन्य अंतरण पर निर्भर हैं। मगर गुजरात की स्थिति इससे भिन्न है।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ओडिशा और उत्तर प्रदेश की कुल राजस्व प्राप्तियों में क्रमशः 28 फीसदी और 44 फीसदी से अधिक हिस्सा ही 2025-26 में उनके अपने कर राजस्व से आने का अनुमान है जबकि चार वर्षों में यह अनुपात 60 फीसदी से अधिक था जिसमें चालू वित्त वर्ष (संशोधित) और 2025-26 (बजट) के अनुमान भी शामिल हैं।
राजस्व अधिशेष की स्थिति में रहने के बावजूद कोविड महामारी से प्रभावित वर्ष2020-21 के बाद उत्तर प्रदेश पर कर्ज चढ़ कर इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के लगभग 30 फीसदी के स्तर तक पहुंच गया है। इस लिहाज से ओडिशा थोड़ी अधिक सहज स्थिति में है, जबकि इसका पूंजीगत आवंटन उत्तर प्रदेश के बराबर है। इन पांच में से इन दोनों राज्यों का पूंजीगत आवंटन इनकी अर्थव्यवस्थाओं के आकार के लिहाज से सर्वाधिक है। गुजरात पर भी कर्ज है मगर इसका राजस्व उत्तर प्रदेश और ओडिशा की तुलना में काफी बेहतर स्थिति में है। गुजरात का पूंजीगत आवंटन इसके जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में इन दोनों राज्यों से कम है।
राजस्थान और पश्चिम बंगाल की हालत चिंताजनक लग रही है। इन दोनों ही राज्यों पर भारी भरकम कर्ज है। दोनों ही राज्य राजस्व घाटे का सामना कर रहे हैं। इनका राजकोषीय घाटा जीएसडीपी की स्वीकृत सीमा 3.0-3.5 फीसदी से अधिक रहने का अंदेशा जताया जा रहा है। राजस्थान और पश्चिम बंगाल का पूंजीगत आवंटन उनके कुल खर्च और उनके जीएसडीपी के अनुपात के रूप में सबसे कम है।