वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने उद्योग संगठनों और निर्यातकों के साथ बैठक की। बैठक में यूरोपीय संघ, चिली और न्यूजीलैंड के साथ जारी मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ताओं और गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) से संबंधित चुनौतियों के अलावा अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई।
गोयल ने उथल-पुथल वाले मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल और कई भारतीय उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च शुल्क के मद्देनजर निर्यात बाजार में विविधता लाने की आवश्यकता को दोहराया। यह चर्चा ऐसे समय में हुई जब गोयल ने बुधवार शाम को वाणिज्य भवन में निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) और उद्योग संगठनों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की थी।
बैठक में मौजूद रहे उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि मंत्री निर्यात बाजार में विविधता लाने के प्रयासों से खुश नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस ओर अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
भारतीय निर्यातकों के संगठन (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा, ‘अमेरिका के भारी शुल्क का एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि कंपनियां निर्यात में विविधता लाने की कोशिश कर रही हैं। हम समुद्री उत्पाद जैसे कुछ क्षेत्रों में भी सुधार देख रहे हैं जहां निर्यात को अमेरिका के अलावा अन्य बाजारों में भेजा जा रहा है।’
सहाय ने कहा, ‘चीन के आक्रामक रुख (गहरी छूट की पेशकश) के कारण समस्या काफी बढ़ गई है।’ उन्होंने कहा कि उद्योग को उम्मीद है कि भारत जिन मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाला है, उनसे विविधीकरण को रफ्तार मिलेगी।
बैठक के दौरान विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) और वाणिज्य विभाग ने 2025-26 की पहली छमाही के दौरान किए गए प्रमुख सुधारों, निर्यात को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से आगामी उपायों और निर्यात के प्रदर्शन पर विस्तृत प्रस्तुतियां दीं।
उदाहरण के लिए, वाणिज्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने मैनुअल हस्तक्षेप को कम करने और अनुपालन दक्षता में सुधार लाने के लिए लाइसेंसों के स्वचालन के अगले चरण की ओर इशारा किया। उन्होंने अन्य प्रमुख सुधारों का भी जिक्र किया जिनमें ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र बनाने पर काम, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) की सुरक्षा के लिए प्रस्तावित निर्यात संवर्धन मिशन और 2 लाख करोड़ डॉलर के निर्यात दृष्टिकोण की तैयारी आदि शामिल हैं।
वाणिज्य विभाग द्वारा गुरुवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘बैठक में उद्योग की समस्याओं एवं चुनौतियों, निर्यात विविधीकरण में उपलब्धियों और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों के विचारों एवं अपेक्षाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।’
दूसरी ओर, निर्यात संवर्धन परिषद और उद्योग ने अमेरिकी शुल्क से निपटने के लिए लगातार सरकार से समर्थन और हस्तक्षेप की मांग की है।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका ने अगस्त से कई भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी का भारी शुल्क लगा दिया है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों यानी अप्रैल से सितंबर के दौरान भारत का वस्तु निर्यात बढ़कर 220.12 अरब डॉलर हो गया जो एक साल पहले की समान अवधि में 213.68 अरब डॉलर था। इसकी मुख्य वजह यह थी कि अमेरिका के लिए माल को पहले ही रवाना किया जा रहा था। सरकारी अधिकारियों ने पहले कहा था कि व्यापार पर वास्तविक प्रभाव और विविधीकरण की तस्वीर नवंबर के बाद ही स्पष्ट होगा।