केंद्र सरकार जहाज निर्माण क्लस्टर विकास और वित्तीय सहायता योजनाओं के लिए दिशानिर्देश बनाने पर काम कर रही है, जिन्हें जल्द ही जारी किया जाएगा। समुद्री अर्थव्यवस्था के विकास के लिए ये योजनाएं 45,000 करोड़ रुपये की हैं। उद्योग और सरकारी सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार के कदम से इस क्षेत्र में औपचारिक रूप से निवेश की रूपरेखा तैयार होगी। समुद्री उद्योग से जुड़े एक कार्यकारी
अधिकारी ने कहा, ‘उद्योगों से परामर्श के लिए तीन दौर की बैठकें पहले ही हो चुकी हैं और चौथे चरण की बातचीत गुरुवार को हुई। उद्योग के लिए निवेश योजनाएं तैयार हैं। इनकी औपचारिक शुरुआत के साथ प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।’
कुल 24,736 करोड़ रुपये की जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना को 31 मार्च, 2036 तक विस्तार दिया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य देश में जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करना है। इसमें 4,001 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट प्रावधान भी शामिल है।
इससे पहले के जहाज निर्माण सहायता कार्यक्रम के प्रति उद्योग जगत ने अधिक उत्साह नहीं दिखाया था और इसमें उनकी सीमित भागीदारी रही। इस बार अधिक से अधिक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने डिलिवरी अवधि में शिपयार्ड को दिए जाने वाले लाभ के लिए मानक बनाए हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, ‘इस बार हम यह पूरी तरह सुनिश्चित करेंगे कि योजना में कंपनियां अधिक से अधिक रुचि दिखाएं। इस बारे में परामर्श के लिए कई दौर की बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। अगले कुछ सप्ताह में दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे।’
सभी पहलों का कार्यान्वयन सही तरीके हो, इसकी निगरानी के लिए राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन स्थापित किया जाएगा। नई योजना के तहत 100 करोड़ रुपये से कम मूल्य वाले जहाजों को 15 प्रतिशत सहायता मिलेगी, जबकि इससे ऊपर की कीमत वाले जहाजों को 20 प्रतिशत सहायता दी जाएगी। विशेष, ग्रीन, हाइब्रिड और विशेष रूप से तैयार जहाज 25 प्रतिशत सहायता के लिए पात्र होंगे।
लगभग 20,000 करोड़ रुपये के जहाज निर्माण क्लस्टर विकास कार्यक्रम में जहाज निर्माण क्लस्टर के लिए पूंजीगत सहायता शामिल है। इसमें नए क्लस्टर बनाने के लिए 9,930 करोड़ रुपये और पुराने क्लस्टरों के क्षमता विस्तार के लिए 8,261 करोड़ रुपये की पूंजीगत सहायता का प्रावधान भी है।
इंडिया मैरीटाइम वीक में जहाज निर्माताओं ने कहा कि वे सरकारी योजना का लाभ उठाने के लिए अपनी परियोजनाओं की क्षमता बढ़ाने और नई इकाइयां स्थापित करने की तैयारी कर रहे हैं। खरीदार के डिफॉल्ट करने पर जहाज निर्माताओं की मदद के लिए सरकार 1,443 करोड़ रुपये का जोखिम कवरेज कोष भी स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है।
उम्मीद है कि समग्र पैकेज से 45 लाख सकल टन की जहाज निर्माण क्षमता का विकास होगा और इससे लगभग 30 लाख रोजगार तैयार होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मुंबई में इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि जहाज निर्माण अगले 25 वर्षों में भारत की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक होगा। इस मौके पर उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग और जहाज निर्माण कंपनियों के अधिकारियों से भारत में इस क्षेत्र में निवेश का आग्रह किया था।
प्रधानमंत्री ने गुरुवार को पुन: अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत के समुद्री क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत के पास बुनियादी ढांचा एवं नवाचार है और वह इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने का इरादा भी रखता है। मोदी ने ‘लिंक्डइन’ पोस्ट में लिखा कि सरकार ने इस क्षेत्र से संबंधित कानूनों को सरल बनाया है। बंदरगाहों का विकास किया है और समुद्री क्षेत्र के लिए 70,000 करोड़ रुपये के व्यापक ‘पैकेज’ को मंजूरी दी है, जिसमें जहाज निर्माण को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि जहाज निर्माण क्षेत्र में 12 लाख करोड़ रुपये के निवेश से संबंधित 600 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक शिपिंग और जहाज निर्माण कंपनियों के अधिकारियों ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में भारत में भारी निवेश का वादा किया है। इंडिया मैरीटाइम वीक में संवाददाता सम्मेलन के दौरान शिपिंग सचिव विजय कुमार ने कहा, ‘कल समुद्री क्षेत्र से संबंधित 11 वैश्विक सीईओ ने बंदरगाह आधुनिकीकरण, जहाज प्रबंधन सेवाओं, जहाज निर्माण और समुद्री सेवाओं एवं घटकों के निर्माण में निवेश की प्रतिबद्धता जताई।’
कुल 2.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की पहल के तहत शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ 2047 तक अपने बेड़े को 216 जहाजों तक विस्तारित करने, 1 करोड़ ग्रॉस टनेज जोड़ने की योजना का ऐलान किया।