राजकोषीय स्थिति मजबूत बनाने के उपायों से सरकारी बॉन्ड पर यील्ड में कमी आ सकती है। कारोबारियों का कहना है कि वित्त वर्ष 2025-26 में बाजार से सकल उधारी बढ़ने के बावजूद राजकोषीय मजबूती के प्रयासों से सरकारी बॉन्ड पर यील्ड नीचे की ओर जा सकती है। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.4 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है, जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान 4.8 प्रतिशत से कम है।
सरकार ने राजकोषीय घाटा पाटने के लिए बाजार से सकल उधारी का लक्ष्य बढ़ाकर 14.82 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। यह रकम चालू वित्त वर्ष की 14.01 लाख करोड़ रुपये से थोड़ी अधिक है। मगर इससे बॉन्ड पर यील्ड नहीं बढ़ेगी। बाजार से शुद्ध उधारी 11.54 लाख करोड़ रुपये होगी जो चालू वित्त वर्ष के 11.63 लाख करोड़ रुपये से मामूली कम है।
एक निजी बैंक में ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘सरकार ने बाजार से उधारी थोड़ी बढ़ाने का निर्णय जरूर लिया है मगर उन्होंने राजकोषीय मजबूती से कोई समझौता नहीं किया है। सोमवार को बॉन्ड बाजार 2-3 आधार अंक नीचे खुलने की उम्मीद है।‘ शुक्रवार को 10 वर्ष की अवधि के सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 6.69 प्रतिशत दर्ज की गई। बॉन्ड बाजार की नजर अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर टिकी हुई है जिसके नतीजे शुक्रवार को आ जाएंगे।
इस बारे में एक बॉन्ड कारोबारी ने कहा, ‘बजट मोटे तौर पर अनुमानों के अनुरूप ही रहा है। इससे बॉन्ड पर यील्ड 2-3 आधार अंक बदल सकती है। एमपीसी की बैठक के नतीजे का असर अधिक रहने वाला है।’ कारोबारियों का कहना है कि नीतिगत दरों में 25 आधार अंक की कमी की जा सकती है और ब्याज दरें निचले स्तर पर रहने का सिलसिला शुरू हो सकता है। बॉन्ड कारोबारियों के अनुसार इससे सरकारी बॉन्ड पर यील्ड कम होकर 6.60 प्रतिशत रह जाएगी। कोविड महामारी के दौरान मई 2020 में आखिरी बार नीतिगत दरें घटाई गई थीं।
एक अन्य निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा कि नकदी बढ़ाने के उपायों को देखते हुए नीतिगत दरों में कम से कम 25 आधार अंक की कमी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर ब्याज दरें कम हुईं तो यील्ड भी घट कर 6.60 प्रतिशत रह जाएगी।
कोविड के दौर में वर्ष 2020-21 में केंद्र का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 9 प्रतिशत से ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था मगर तब से इसमें लगातार कमी आ रही है।
नोमूरा में अर्थशास्त्री (भारत) अरुदीप नंदी ने कहा, ‘सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के साथ ही करदाताओं को आयकर में भी राहत दे रही है। इन उपायों के साथ ही सार्वजनिक निवेश का स्तर पर ठीक-ठीक रखा जा रहा है। यह सब आरबीआई से मिले भारी भरकम लाभांश और आयकर संग्रह में मजबूत बढ़ोतरी के अनुमानों के बूते संभव हो पाया है। यह बजट मोटे तौर पर अनुमानों के मुताबिक ही रहा है।’