भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) और विदेशी मुद्रा खरीद-बिक्री स्वैप के जरिये प्रणाली में नकदी प्रवाह बढ़ाने के उपायों के एक नए दौर की आज घोषणा की। इसके तहत बैंकिंग प्रणाली में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये डालने की योजना है। केंद्रीय बैंक 29 दिसंबर, 5 जनवरी, 12 जनवरी और 22 जनवरी को 50 हजार करोड़ रुपये के चार ओएमओ के जरिये 2 लाख करोड़ रुपये की भारत सरकार की प्रतिभूतियां खरीदेगा। इसके अलावा आरबीआई 13 जनवरी को 10 अरब डॉलर का तीन साल का डॉलर बनाम रुपया खरीद-बिक्री स्वैप करेगा।
ताजा आंकड़ों के अनुसार, सोमवार तक बैंकिंग प्रणाली में शुद्ध नकदी 54,851 करोड़ रुपये के घाटे में थी। पिछले हफ्ते केंद्रीय बैंक के डॉलर बेचकर विदेशी मुद्रा बाजार में दखल से पहले ही पूंजी बाजार के प्रतिभागी कम से कम 2लाख करोड़ रुपये की नकदी डाले जाने की उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आरबीआई द्वारा लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने का उद्देश्य मुख्य रूप से हालिया विदेशी मुद्रा हस्तक्षेपों के साथ-साथ अग्रिम कर की अदायगी और प्रचलन में अधिक मुद्रा जैसे मौसमी कारकों के कारण होने वाली तरलता की कमी को दूर करना है।
पिछले सप्ताह आरबीआई के हस्तक्षेप के कारण रुपया 91 प्रति डॉलर से चढ़कर 89 प्रति डॉलर तक पहुंचा। आगे की कार्रवाई तरलता की स्थिति और मुद्रा बाजार में और हस्तक्षेप करने की जरूरत है। बाजार प्रतिभागियों ने कहा कि अगर दबाव बना रहता है तो आरबीआई चौथी तिमाही में और हस्तक्षेप कर सकता है।
एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘बाजार को पिछले सप्ताह केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप से पहले भी कम से कम 2 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने की उम्मीद थी। पहले के हस्तक्षेप के मद्देनजर प्रणाली में डाली जा रही रकम उचित लगती है। मगर ऐसा नहीं है कि यही आखिरी कदम होगा। आगे की कार्रवाई तरलता की स्थिति और आवश्यक हस्तक्षेप पर निर्भर करेगी।’
केंद्रीय बैंक ने दिसंबर में अब तक ओएमओ खरीद और विदेशी मुद्रा खरीद-बिक्री स्वैप के जरिये 1.45 लाख करोड़ रुपये की स्थायी नकदी डाली है। बॉन्ड बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि अधिक लिक्विड प्रतिभूतियों में ओएमओ खरीद से भागीदारी और मूल्य खोज में सुधार होगा। इलिक्विड बॉन्ड में ओएमओ अक्सर बाजार स्तर से 2 से 5 आधार अंक ऊपर क्लियर होते हैं।
चालू कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही में आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली में 9.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी डाली थी। इससे नकदी की स्थिति दिसंबर (2024) के मध्य से लगातार घाटे से बदलकर मार्च (2025) के अंत तक अधिशेष हो गई।
इस बीच, सरकारी बॉन्ड यील्ड, नकदी की घोषणा और रीपो दर में दिसंबर के पहले सप्ताह में की गई 25 आधार अंकों की कटौती के बाद भी बढ़ रही है। दिसंबर की शुरुआत में बेंचमार्क 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर यील्ड में 12 आधार अंकों की वृद्धि हुई है।