केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने ऑटोमोटिव उद्योग, विदेशी ग्राहकों को सेवाएं देने वाली विज्ञापन एजेंसियों, डेटा होस्टिंग सेवा प्रदाताओं और वस्तु निर्यातकों को राहत देने के किए बुधवार को सर्कुलर जारी किया है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने सर्कुलर में कहा है, ‘डेमो वाहनों का इस्तेमाल अधिकृत डीलर करते हैं। यह संभावित ग्राहकों को वाहन के फीचर्स बताने और परीक्षण के तौर पर चलाने के लिए होते हैं। इससे संभावित ग्राहकों को किसी खास तरह के वाहन खरीदने के बारे में फैसला करने में मदद मिलती है। डेमो वाहन उसी तरह के मोटर वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए काम आते हैं, ऐसे में इन्हें डीलरों द्वारा इस तरह के वाहनों की आगे आपूर्ति करने लिए इस्तेमाल किए जान वाले वाहन माना जा सकता है।’
सर्कुलर में आगे कहा गया है कि अगर वाहन को लेखा बही में दिखा दिया गया है, फिर भी इससे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कटौती की उपलब्धता प्रभावित नहीं होनी चाहिए। ऐसे वाहनों पर इनपुट क्रेडिट टैक्स का दावा किया जा सकता है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर, अप्रत्यक्ष कर हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘सर्कुलर में कर योग्य आपूर्ति के लिए उपयोग की जा रही वस्तु की अवधारणा का सही विश्लेषण किया गया है और यह कहा गया है कि डेमो वाहन का इस्तेमाल टेस्ट ड्राइव, फीचर्स बताने के लिए किया जाता है, जिससे बिक्री बढ़ सके, इसलिए ऐसे वाहन क्रेडिट के पात्र हैं।’
एक अन्य सर्कुलर डेटा होस्टिंग सर्विसेज की आपूर्ति को लेकर जारी किया गया है, जहां इस तरह की सेवाएं भारत की कंपनियों को क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा दी जाती हैं, जो भारत के बाहर स्थित हैं।
कर अधिकारियों द्वारा इस तरह की सेवाओं को निर्यात के रूप में नहीं देखा जाता था, इसलिए जीएसटी देनदारी बनती है। इस मामले में कई स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं। इनमें कहा गया है कि आम तौर पर ऐसी सेवाएं, कुछ शर्तों की पूर्ति के अधीन, निर्यात के रूप में योग्य होती हैं और इसलिए उन पर कोई जीएसटी देयता नहीं होगी।
सर्कुलर में कहा गया है, ‘विदेश में स्थित क्लाउड कंप्यूटिंग इकाई से भारत स्थित डेटा होस्टिंग सेवा प्रदाता द्वारा डेटा होस्टिंग सेवाओं की आपूर्ति को सेवाओं का निर्यात माना जा सकता है, जो अन्य शर्तों को पूरा करने पर निर्भर होगा।’
एक अन्य अधिसूचना निर्यातकों को राहत देने वाली है। इसमें साफ किया गया कि जहां सीमा शुल्क के तहत कोई लाभ प्राप्त करके इनपुट आयात किए गए थे, लेकिन बाद में उन पर कर का भुगतान किया जाता है, ऐसी वस्तु के निर्यात पर भुगतान किया गया आउटपुट जीएसटी रिफंड के रूप में उपलब्ध होगा।