केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि जिम्मेदार अर्थव्यवस्थाएं इतनी बड़ी उधारी से नहीं चल सकतीं जिसका बोझ आने वाली पीढ़ियों पर पड़े। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वैश्विक आर्थिक नीति फोरम में सीतारमण ने आने वाले दशक में ऋण प्रबंधन और वित्तीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति वैश्विक चुनौती बन गई है और सीमाओं से परे इस चुनौती से कोई भी देश पूरी तरह से निपटने में सफल नहीं हो पाया है।
सीतारमण ने कहा कि देशों पर पीढ़ीगत ऋण बढ़ रहा है और सरकार तथा उद्योग के लिए राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर ऋण कम करने के लिए साथ मिलकर काम करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वित्त प्रबंधन और संपत्ति निर्माण के लिए ही उधार को प्राथमिकता देनी चाहिए।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘कर्ज कम करना हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है। कोविड ने हमें ऐसी स्थिति में ला दिया कि आप चाहें न चाहें कर्ज लेना ही पड़ेगा। हमने भी कर्ज लिया है मगर हम इस बात का बड़ा ध्यान रख रहे हैं कि हम आने वाली पीढ़ियों पर अप्रत्याशित कर्ज का बोझ नहीं डाल सकते।’
दुनिया भर में युद्ध और संघर्ष के कारण आपूर्ति और खाद्य श्रृंखला में व्यवधान के बारे में सीतारमण ने कहा, ‘इस दशक में वैश्विक प्राथमिकता स्थिति को सामान्य बनाने की होनी चाहिए। यह उद्योग, सरकार, नीति निर्माताओं और नागरिकों के साथ हम सभी का दायित्व है कि स्थिति को सामान्य बनाने का अथक प्रयास किया जाए।’
सीआईआई फोरम के इस कार्यक्रम का विषय ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए दशकीय प्राथमिकताएं है। वित्त मंत्री ने कहा कि देशों को दुनिया भर में फैली आपूर्ति श्रृंखलाओं के संदर्भ में अर्थव्यवस्था और इसकी प्राथमिकताओं पर राजनीति तथा रणनीतिक जरूरतों के साथ विचार करने की जरूरत है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखला को बहाल करना होगा। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि इसका दुनिया भर में प्रसार हो ताकि कोई राजनीतिक या भू-राजनीतिक या रणनीतिक जोखिम हमारे हितों के लिए खतरा न बने।’
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिए उस तरह की प्रतिबद्धता की आवश्यकता है जैसा कि देश गरीबी हटाने के लिए प्रतिबद्ध हो। जलवायु चुनौती से भी अधिक उन कठिनाई इससे निपटने के लिए संसाधन जुटाना है। जलवायु चुनौतियों को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखना होगा, उत्सर्जन एक संकेतक है।
दुनिया के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और नवाचार दशक की प्राथमिकताओं में से एक है। डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) की सफलता के बाद भारत में कृषि क्षेत्र में अगला बड़ा नवोन्मेष होगा।