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ट्रंप के 25% टैरिफ से निर्यातकों में चिंता, सरकार से ₹2,250 करोड़ की प्रोत्साहन योजना जल्द लागू करने की मांग

निर्यातकों में चिंता बढ़ गई है क्योंकि उन्हें न केवल शुल्क से संभावित नुकसान का डर है बल्कि रूस से ईंधन खरीद के कारण भारत पर जुर्माना लगाए जाने की भी आशंका है।

Last Updated- August 03, 2025 | 10:22 PM IST
Trump Tarrif

अमेरिका द्वारा 7 अगस्त से भारत के सामान पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की तैयारी के बीच निर्यातकों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह इस बढ़े हुए बोझ का एक हिस्सा उठाए और 2,250 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन को शीघ्र लागू करे। इस मिशन की घोषणा फरवरी में बजट में की गई थी लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है। निर्यातकों में चिंता बढ़ गई है क्योंकि उन्हें न केवल शुल्क से संभावित नुकसान का डर है बल्कि रूस से ईंधन खरीद के कारण भारत पर जुर्माना लगाए जाने की भी आशंका है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि निर्यात संवर्धन मिशन के तहत विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप हस्तक्षेपों को शामिल करने, व्यापार वित्त पर ध्यान केंद्रित करने और निर्यातकों के लिए बाजार पहुंच को आसान बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं तैयार की गई हैं। हालांकि ये योजनाएं केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद ‘जरूरत और प्राथमिकता’ के अनुसार लागू की जाएंगी।

अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘वाणिज्य विभाग ने अपना प्रस्ताव व्यय वित्त समिति को भेज दिया है। यह मंजूरी के लिए लंबित है। वित्त समिति से हरी झंडी मिलने के बाद इसे अंतिम मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।’

हालांकि एक ऐसी व्यवस्था बनाना मुश्किल हो सकता है जहां बढ़े हुए शुल्क को आंशिक रूप से निर्यातकों द्वारा और शेष सरकार द्वारा वहन किया जाए। प्रत्यक्ष सब्सिडी-आधारित दृष्टिकोण को लागू करना मुश्किल है क्योंकि इससे ‘नैतिक जोखिम’ की चिंता पैदा होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि निर्यातकों पर वास्तविक प्रभाव को देखना और उन्हें मिलने वाली सब्सिडी को उचित ठहराना मुश्किल होगा। इसके अलावा यह विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों का उल्लंघन भी हो सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है और सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।’

7 अगस्त से भारत को अधिकांश देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक टैरिफ का सामना करना पड़ेगा क्योंकि भारत और अमेरिका 1 अगस्त की समयसीमा से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में विफल रहे।

बीते शुक्रवार को भारतीय परिधान निर्यातकों ने चिंता जताते हुए कहा था कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 फीसदी शुल्क के कारण विनिर्माण इकाइयों में बड़े पैमाने पर छंटनी हो सकती है। उन्होंने स्थिति से निपटने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।

परिधान निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष सुधीर सेखरी ने कहा, ‘हम इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं। निर्यातक मुश्किल में हैं और उन्हें अपनी फैक्टरियों को चालू रखने और बड़े पैमाने पर छंटनी से बचने के लिए उत्पाद को लागत से कम पर बेचना होगा।’

बीते शनिवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इंजीनियरिंग सामान, कपड़ा, चमड़ा और खाद्य प्रसंस्करण सहित विभिन्न क्षेत्रों के निर्यातकों से मुलाकात की थी। रेटिंग एजेंसी इक्रा द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी शुल्क से सबसे अधिक कपड़ा, वाहन कलपुर्जा, टायर, रसायन, कृषि रसायन और हीरा क्षेत्र प्रभावित होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के वाहन कलपुर्जा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 27 फीसदी है और कटिंग और पॉलिश किए हुए हीरे का लगभग 36 फीसदी निर्यात सीधे अमेरिका को होता है।

First Published - August 3, 2025 | 10:22 PM IST

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