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ट्रंप के फैसले से निर्यातकों को मिला वक्त, लेकिन नए ऑर्डर को लेकर अनिश्चितता बरकरार

परिधानों जैसे क्षेत्रों में विक्रेता 9 जुलाई से पहले अमेरिका को माल भेजने के लिए 90 दिन की मोहलत का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

Last Updated- April 14, 2025 | 11:01 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर

अमेरिका ने देश विशेष के लिए जवाबी शुल्क को फिलहाल 90 दिनों के लिए टाल दिया है। यह घोषणा होने के कुछ ही दिन बाद मौजूदा अमेरिकी ऑर्डर के लिए सामान की आपूर्ति फिर सुचारु होने लगी है। मगर नए ऑर्डरों के मामले में अनिश्चितता अब भी बरकरार है। निर्यातकों ने कहा कि अमेरिका ने चीन को छोड़कर अपने सभी व्यापार भागीदारों पर 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क अब भी लगा रखा है। ऐसे में अमेरिकी खरीदार अब भारतीय विक्रेताओं से अतिरिक्त शुल्क का एक तिहाई से लेकर 50 फीसदी तक बोझ उठाने के लिए कह रहे हैं। 

परिधानों जैसे क्षेत्रों में विक्रेता 9 जुलाई से पहले अमेरिका को माल भेजने के लिए 90 दिन की मोहलत का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिले-सिलाए परिधानों के लिए तीन महीने के भीतर उत्पादन करना और माल भेजना एक बड़ी चुनौती है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह उच्च जवाबी शुल्क लगाने के अपने फैसले को पलट दिया। भारत के मामले में यह शुल्क 26 फीसदी था। मंदी और मुद्रास्फीति के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच 9 अप्रैल को अमेरिका ने देश विशेष पर लगाए गए जवाबी शुल्क को लागू होने से कुछ ही घंटे पहले 90 दिनों के लिए टाल दिया था। हालांकि चीन को इससे बाहर रखा गया। फिलहाल अमेरिका में किए गए आयात पर मौजूदा तरजीही देश (एमएफएन) के लिए शुल्क के अलावा 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क जारी है।

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष दिलीप बैद ने कहा कि मौजूदा ऑर्डर के तहत माल भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अ​धिकतर अमेरिकी खरीदार 10 फीसदी अतिरिक्त शुल्क के कारण बढ़ी हुई लागत का आधा हिस्सा साझा करने की मांग कर रहे हैं।  बैद ने कहा, ‘फिलहाल अतिरिक्त शुल्क के कारण बढ़ी हुई लागत को खरीदार और विक्रेता के बीच विभाजित करते हुए यह सुनिश्चित करने की को​शिश की जा रही है कि खुदरा लागत में कोई वृद्धि न हो। अगर ऐसा हुआ तो बाजार सिकुड़ सकता है।’ 

भारतीय निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक एवं मुख्य कार्या​धिकारी अजय सहाय ने कहा कि खरीदार अब अन्य देशों के साथ तुलना करते हुए भारी छूट के लिए मोलभाव कर रहे हैं। अतिरिक्त शुल्क 26 फीसदी से घटकर 10 फीसदी रह गया है और इसलिए वे सौदेबाजी कर रहे हैं। 

सहाय ने कहा, ‘कुछ खरीदार अतिरिक्त शुल्क के बोझ को आधा-आधा बांटने के लिए कह रहे हैं जो खरीदार और उद्योग पर निर्भर करता है। फुटवियर और कपड़ा जैसे क्षेत्रों में खरीदार, विक्रेता और उपभोक्ता के बीच तीन तरफा विभाजन है।’ इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (ईईपीसी) के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा कि अमेरिका ने पहले ही इस्पात एवं एल्युमीनियम क्षेत्र पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगा रखा है। 

First Published - April 14, 2025 | 10:41 PM IST

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