केंद्रीय बजट 2025-26 के पहले निर्यातकों ने गुरुवार को वित्त मंत्रालय से अमेरिका को केंद्र में रखकर 750 करोड़ रुपये की मार्केटिंग योजना को मंजूरी दिए जाने की मांग की है। इससे अमेरिका को अगले 3 साल में करीब 25 अरब डॉलर के अतिरिक्त निर्यात का अवसर पैदा हो सकता है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के मुताबिक अमेरिका ने चीन पर उच्च शुल्क लगाने का संकेत दिया है, जिससे भारत के निर्यातकों को उल्लेखनीय अवसर मिलेगा। फियो के मुताबिक जिन क्षेत्रों में पहले चीन प्रमुखता से निर्यात करता था, उनमे भारत अपना निर्यात बढ़ा सकता है।
ऐसे क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल उपकरण, फुटवीयर, टेक्सटाइल और गार्मेंट्स, फर्नीचर और घर के सजावटी सामान, वाहनों के कल पुर्जे, खिलौने और रसायन शामिल हैं। निर्यातकों के शीर्ष निकाय ने कहा कि इसमें से सबसे ज्यादा फायदा कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे मोबाइल फोन, टेलीविजन, बिजली के उपकरण, कल पुर्जे में हो सकता है और इन क्षेत्रों में 10 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात हो सकता है।
फियो के अध्यक्ष अश्वनी कुमार ने कहा, ‘इसके लिए अमेरिका में हमें अपनी मौजूदगी बढ़ाने की जरूरत है। इसमें बड़ी संख्या में प्रदर्शनियों में भाग लेना, खरीदार और विक्रेता बैठकें करना और खुदरा विक्रेताओं के बड़े स्थानीय संघों के साथ गठजोड़ करना शामिल है। प्रतिवर्ष 250 करोड़ रुपये की पूंजी (कुल मिलाकर 750 करोड़ रुपये) से अमेरिका पर केंद्रित मार्केटिंग की योजना लाने की जरूरत है, जिससे 3 साल के अंत तक 25 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात किया जा सके।’
निर्यात को सतत बनाए रखने के लिए शोध एवं विकास (आरऐंडडी) और नवोन्मेषी उत्पाद जरूरी हैं, जिसे देखते हुए फियो ने सरकार से आरऐंडडी पर होने वाले व्यय पर कर की छूट दिए जाने की मांग की है। बजट के पहले वित्त मंत्री और नॉर्थ ब्लॉक में स्थित वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक के दौरान निर्यातकों ने निर्यात को बढ़ावा देने वाली योजनाओं में निरंतरता की मांग की है।
इसमें से 31 दिसंबर तक के लिए ब्याज इक्वलाइजेशन (आईईएस)की सुविधा, कुछ निर्यात वस्तुओं के मार्केटिंग और ट्रेड प्रमोशन के लिए अतिरिक्त धन की योजना, एमएसएमई विनिर्माण इकाइयों के लिए आयकर से राहत व अन्य योजनाएं शामिल हैं। आईईएस एक ब्याज छूट योजना है, जिसके तहत बैंकों द्वारा निर्यातकों से ली जाने वाली ब्याज दरों पर छूट दिया जाना शामिल है। इसके बाद कर्ज देने वालों को सरकार उस छूट की भरपाई करती है। खासकर श्रम केंद्रित सेक्टरों के साथ सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को यह छूट मिलती है।
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (ईईपीसी) के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा कि उन्होंने एमएसएमई विनिर्माताओं की सालाना लाभ सीमा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने का अनुरोध किया है। अगर इसे मंजूरी मिलती है तो इससे एमएसएमई निर्यातकों को उल्लेखनीय वित्तीय समर्थन मिलेगा। बजट पूर्व बैठक में मौजूद रहे जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा कि खासकर हीरों के मामले में मार्केटिंग व्यय के लिए एक अलग कोष के आवंटन की जरूरत है।