वाणिज्य मंत्रालय ने लाल सागर संकट से व्यापार पर पड़ने वाले असर से निपटने के रणनीतिक उपायों के लिए अंतर मंत्रालयी परामर्श की पहल की है। अंतर मंत्रालयी परामर्श में विदेश, रक्षा, जहाजरानी और वित्त मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारीगण शामिल होंगे।
वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को बताया, ‘वाणिज्य, रक्षा, वित्त (वित्तीय सेवा विभाग), विमानन और विदेश मंत्रालय के अधिकारीगणों के साथ अंतर मंत्रालय परामर्श अगले सप्ताह होगा। इसमें किए जाने वाले इंतजामों पर चर्चा होगी।’ लाल सागर संकट से वैश्विक कारोबार पर पड़ने वाले असर के मद्देनजर यह गतिविधियां की गई हैं। यह घटनाक्रम लाल सागर संकट के कारण वैश्विक व्यापार पर असर पड़ने के मद्देनजर हुआ है।
जहाजों को लाल सागर क्षेत्र में जारी संकट के कारण मजबूरन लंबे रास्ते ‘केप ऑफ गुड होप’ (आशा अंतरीप) होकर जाना पड़ रहा है। इससे भेजे जाने वाले सामान की लागत और बीमा बढ़ गया है।
निर्यातकों को अधिक मालभाड़ा देना पड़ रहा है। ऐसे में निर्यातकों ने कुछ खेपों को रोक दिया है। लंबा रास्ता लेने के कारण कंटेनरों को पहुंचने में 12-14 दिन अधिक लग सकते हैं जबकि कंटेनरों की कमी नहीं है। सरकार को चिंता है कि संकट लंबा खिंचने पर परेशानी बढ़ सकती है।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने बीते सप्ताह निर्यातकों और साझेदारों के साथ बैठक की थी। इसमें संकट के कारण व्यापार के समक्ष चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। अधिकारी ने बताया, ‘साझेदारों से परामर्श के दौरान उनके समक्ष आ रही समस्याओं पर चर्चा की गई।
साझेदारों के मुताबिक केवल 8 प्रतिशत व्यापार लाल सागर के रास्ते हो रहा है और शेष 92 प्रतिशत केप ऑफ गुड होप के रास्ते हो रहा है। इसके अलावा अतिरिक्त भीड़ भाड़ शुल्क (इस सीजन में लगाया गया) के कारण माल भाड़े की लागत और बढ़ गई।’
व्यापार के इस मार्ग में बाधा आने के कारण अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशिया की खेप प्रभावित हुई है। लिहाजा सरकार पूर्व की तरफ से अधिक कारोबार करने का प्रयास करेगी। इस क्रम में खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया से कारोबार करने की कोशिश की जाएगी। इसका कारण यह है कि इस देश से पहले ही मुक्त व्यापार समझौता है।
नई दिल्ली के थिंक टैंक रिसर्च ऐंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डवलपिंग कंट्रीज के मुताबिक इस संकट के कारण भारत के कुल निर्यात में से 30 अरब डॉलर के कारोबार पर असर पड़ सकता है।
भारत ने बीते साल 451 अरब डॉलर के सामान का निर्यात किया था। वाणिज्य मंत्रालय लाल सागर के संकट से भारत के निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में आकलन कर रहा है। उम्मीद यह है कि मंत्रालय अगले सप्ताह तक अपना आकलन साझा करेगा।