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EU’s carbon Tax: भारत से 43 फीसदी कम हो सकता है यूरोपीय यूनियन को निर्यात

दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेड ब्लॉक के प्रस्तावित CBAM और अन्य ग्रीन पहलों के कारण भारत के निर्यात में रुकावट देखने को मिल सकती है

Last Updated- September 22, 2023 | 10:26 PM IST
कम शुल्क दर से बढ़ेगा निर्यातExports will increase due to lower duty rate

भारत से यूरोपियन यूनियन को किए जा रहे 43 फीसदी निर्यात पर कार्बन उत्सर्जन को लेकर जारी नई व्यवस्था CBAM (कॉर्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म) की वजह से खतरा मंडरा रहा है। इससे देश से यूरोपियन यूनियन को किए जाने वाले 37 अरब डॉलर का निर्यात खतरे में पड़ सकता है। दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेड ब्लॉक के प्रस्तावित CBAM और अन्य ग्रीन पहलों के कारण ऐसा देखने को मिल सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया कि यूरोपीय यूनियन अमेरिका के बाद भारत के प्रमुख निर्यात बाजारों में से एक है।

निर्यात में रुकावट से इन कैटेगरीज पर पड़ेगा ज्यादा असर

ऊर्जा, पर्यावरण और जल केंद्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय यूनियन के रेगुलेशन्स की वजह से भारत के विदेशी व्यापार में कई कैटेगरी को नुकसान पहुंच सकता है। इनमें कपड़ा (टेक्सटाइल), केमिकल, कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स, प्लास्टिक और व्हीकल शामिल हैं। साल 2022 में भारत से यूरोपियन यूनियन को किए गए कुल निर्यात का 32 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं सेगमेंट से था।

प्रेरणा प्रभाकर और हेमंत माल्या द्वारा लिखी गई एक रिपोर्ट को गुरुवार को जारी किया गया। इस रिपोर्ट में साल 2022 के निर्यात का आंकड़ा बताया गया और कहा गया कि 2022 में भारत से रिस्क वाले सेक्टर्स से 43 प्रतिशत यानी करीब 37 अरब डॉलर के बराबर का निर्यात किया गया था। अगर CBAM सेक्टर्स को लिस्ट में जोड़ा जाता है, तो भारत को करीब इतना ही नुकसान झेलना पड़ सकता है।

किस वजह से निर्यात पर लग सकती है रोक?

रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में विकसित देशों द्वारा स्थिरता, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए कई नॉन-टैरिफ उपाय लागू किए गए हैं। इनमें एनर्जी एफिसिएंसी, कार्बन फुटप्रिंट, वेस्ट मैनेजमेंट, वाटर मैनेजमंट और टिकाऊ फॉरेस्ट्री के उपाय शामिल हैं।

रिपोर्ट ने कहा कि विकसित देशों द्वारा E-NTM जारी करने में वृद्धि के साथ, भारत को अपनी प्रमुख निर्यात वस्तुओं के संबंध में एक गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि भारत ने इस चुनौती से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, फिर भी यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत का निर्यात प्रभावित न हो, देश को इन उपायों से निपटने के लिए एक स्ट्रक्चर्ड अप्रोच डेवलप करने की जरूरत है।

भारत को निपटने के लिए अपनाने होंगे ये उपाय

भारत को ऐसे यूरोपीय यूनियन के उपायों से निपटने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक स्ट्रक्चर्ड अप्रोच की जरूरत है कि ताकि देश के निर्यात प्रभावित न हों। उदाहरण के लिए, भारत संबंधित देशों में अनुपालन मूल्यांकन गतिविधियों की पारस्परिक मान्यता विकसित करने के लिए द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का सहारा ले सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कुछ यूरोपीय यूनियन व्यापार समझौते, जैसे कि EU-Canada Comprehensive Economic and Trade Agreement (CETA) और यूरोपीय संघ-वियतनाम मुक्त व्यापार समझौता (EU-Vietnam Free Trade Agreement), उदाहरण देते हैं कि इसे कैसे हासिल किया जा सकता है।’

भारत को अन्य सदस्य देशों द्वारा गैर-व्यापार उपायों के नोटिफिकेशन के संबंध में कुछ विशेष चिंताओं को उठाने के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) फ्रेमवर्क का उपयोग करने में तेजी से काम करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘हालांकि हाल के दिनों में WTO में भारत की भागीदारी बढ़ी है, भविष्य में चिंताओं को उठाने और समाधान खोजने के लिए WTO मैकेनिज्म का उपयोग करने के लिए रणनीतियां तैयार की जानी चाहिए।’

First Published - September 22, 2023 | 3:39 PM IST

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