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विलंबित परियोजनाओं में आई कमी, लागत में इजाफा जारी

Last Updated- December 11, 2022 | 8:40 PM IST

तेल कीमतें भले ही घटकर करीब 105 डॉलर प्रति बैरल आई पर गईं लेकिन जिंस कीमतें अभी ऊंची दरों पर बनी हुई हैं। ब्लूमबर्ग कमोडिटी इंडेक्स 120 से ऊपर बना हुआ है।
चूंकि कीमतें बढ़ रही हैं लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि सरकार को अपने बुनियादी ढांचा पाइपलाइन के लिए अधिक धन खर्च करना पड़ सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मूल्य वृद्घि पहले से ही एक समस्या है क्योंकि विलंबित परियोजनाओं पर लागत बढ़ रही हैं।
सांख्यिकी और योजना क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी तक 1,671 परियोजनाओं पर 4.45 लाख करोड़ रुपये अनुमानित लागत बढ़ गई थी जो पिछले वर्ष से 4 फीसदी अधिक है।      
मंत्रालय के आंकड़ों का बिजनेस स्टैंडर्ड ने जो विश्लेषण किया है उससे पता चलता है कि पिछले वर्ष की तुलना में देरी से चलने वाली परियोजनाओं की संख्या में कमी आने के बावजदू लागत में अतिरिक्त बढ़ोतरी में इजाफा हो रहा है।
मार्च तक 150 करोड़ रुपये या उससे ऊपर की 567 बड़ी परियोजनाएं देरी से चल रही थी। महामारी के दौरान 596 परियोजनाएं विलंबित हुईं थी। अब जबकि वित्त वर्ष समाप्त होने में दो महीने शेष हैं तब विलंबित परियोजनाओं की संख्या घटकर 514 रह गई है। हालांकि, विलंबित परियोजनाओं में कमी का लागत में बढ़ोतरी पर बहुत कम असर पड़ा है। लागत में बढ़ोतरी की गणना परियोजना की अनुमानित लागत में से वास्तविक लागत को घटाकर की जाती है। जनवरी में बची हुई परियोजनाओं की अनुमानित लागत वास्तविक लागत से 19.76 फीसदी अधिक थी। पिछले वर्ष बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त लागत 19.53 फीसदी थी।       
अतिरिक्त लागत में इजाफा केवल महामारी की वजह से ही नहीं हो रहा है। 2016-17 के अंत में अतिरिक्त लागत घटकर 11 फीसदी पर आ गई थी लेकिन उसके बाद से इसमें इजाफा हो रहा है।
परियोजनाओं में लगने वाले अतिरिक्त समय में भी वृद्घि हो रही है। पिछले वर्ष तक एक परियोजना पर लगने वाला अतिरिक्त समय 44 महीने था। जनवरी में अनुमानित अतिरिक्त समय 46 महीने या चार वर्ष के करीब था।
लेकिन सरकार के पास अब भी इस असंतुलन को ठीक करने का मौका है। नवीनतम बुनियादी ढांचा रिपोर्टिंग के आंकड़ों से पता चलता है कि विगत कुछ महीनों में परियोजना की ऑनलाइन रिपोर्टिंग में सुधार हुआ है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में 94 फीसदी परियोजनाओं की ऑनलाइन रिपोर्टिंग हुई थी जो कि दो वर्ष पहले से 76 फीसदी से अधिक है। 

First Published - March 20, 2022 | 11:34 PM IST

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