जून 2023 को समाप्त तिमाही में भारत का Current Account Deficit (CAD) पिछली तिमाही के मुकाबले यानी क्रमिक रूप से बढ़कर 9.2 बिलियन डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 1.1 प्रतिशत हो गया। यह वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही (Q4FY23) में 1.3 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 0.2 प्रतिशत) था। एक साल पहले की समान अवधि में यह 17.9 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.1 फीसदी था।
RBI ने एक बयान में कहा कि तिमाही आधार पर (QoQ) CAD का बढ़ना मुख्य रूप से उच्च व्यापार घाटे (higher trade deficit ) के साथ-साथ नेट सर्विस में कम सरप्लस और प्राइवेट ट्रांसफर प्राप्तियों (private transfer receipts) में गिरावट के कारण था।
अप्रैल-जून 2023 (Q1Fy24) में व्यापार घाटा क्रमिक रूप से बढ़कर 56.6 बिलियन डॉलर हो गया, जो Q4Fy24 में 52.6 बिलियन डॉलर था।
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ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि Current Account Deficit अनुमान से बेहतर ट्रेड बैलेंस के कारण रेटिंग एजेंसी के द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान से पीछे है, जबकि सर्विस ट्रेड सरप्लस और सेकंडरी इनकम का बैलेंस अनुमान से कम था।
औसत माल व्यापार घाटा (average merchandise trade deficit) वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के स्तर की तुलना में जुलाई-अगस्त 2023 में अधिक बढ़ गया है। नायर ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी के साथ, CAD वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में क्रमिक रूप से 19-21 बिलियन डॉलर (जीडीपी का -2.3%) तक बढ़ने का अनुमान है।
मुख्य रूप से कंप्यूटर, यात्रा और बिजनेस सर्विस के निर्यात में गिरावट के कारण नेट सर्विस प्राप्तियों में क्रमिक रूप से कमी आई, हालांकि सालाना आधार पर (YoY) आधार पर यह उच्च स्तर पर बनी रही।
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RBI ने कहा कि प्राइवेट ट्रांसफर प्राप्तियां, जो मुख्य रूप से विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा भेजी जाती हैं, वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में घटकर 27.1 बिलियन डॉलर हो गईं। जबकि, यह वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही (Q4Fy23) में 28.6 बिलियन डॉलर थीं। हालांकि इसमें भी सालाना आधार पर वृद्धि देखी गई।
इनकम अकाउंट पर नेट खर्च, जो मुख्य रूप से इन्वेस्टमेंट के पेमेंट को दिखाता है, वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में घटकर 10.6 बिलियन डॉलर हो गया, जो कि Q4Fy23 में 12.6 बिलियन डॉलर था। हालांकि यह एक साल पहले की तुलना में ज्यादा है।
Q1Fy24 में नेट विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में 15.7 बिलियन डॉलर का फ्लो दर्ज किया गया, जबकि Q1Fy23 में 14.6 बिलियन डॉलर का नेट आउटफ्लो दर्ज किया गया था। साथ ही, भारत में बाहर से ली गई नेट कमर्शियल उधारी Q1Fy24 में 5.6 बिलियन डॉलर दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले 2.9 बिलियन डॉलर का आउटफ्लो हुआ था।
इसमें कहा गया है कि Q1FY24 में बैलेंस ऑफ पेमेंट (BoP) की स्थिति के अनुसार, रिजर्व में 24.4 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी, जबकि एक साल पहले की अवधि में 4.6 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी।
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चालू खाते और BoP के मोर्चे पर उभरती स्थिति पर, बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि तेल की ऊंची कीमतों से व्यापार घाटे पर दबाव पड़ेगा। वर्ष (वित्त वर्ष 24) के लिए सीएडी GDP के 1.5-1.8 प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है, लेकिन यह काफी हद तक तेल अर्थशास्त्र पर निर्भर करेगा। RBI के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023 के लिए सीएडी जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था।