कई महीनों के अंतराल के बाद वॉलमार्ट जैसे वैश्विक ब्रांडों ने तिरुपुर के गारमेंट मेकर से माल उठाना शुरू कर दिया है। इसलिए पांच महीने के बाद जनवरी में निटवियर निर्यात में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। जनवरी में तिरुपुर से निटवियर का निर्यात डॉलर में 1.5 फीसदी और रुपये में 11.6 फीसदी बढ़ गया।
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (TEA) के अनुसार प्रमुख वैश्विक कंपनियों ने इस क्षेत्र से अधिक ऑर्डर और माल लेना शुरू कर दिया है। TEA के कार्यकारी सचिव शिवस्वामी शक्तिवेल ने कहा, ‘Walmart’ ने जनवरी से माल लेना शुरू कर दिया है और हमें 80 से 100 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं।’
TEA के अध्यक्ष के एम सुब्रमण्यन ने कहा, ‘अब हमें Primark और Walmart जैसे सभी बड़े ब्रांडों से ऑर्डर मिल रहे हैं।’ जनवरी 2022-23 में तिरुपुर से निर्यात 1.5 फीसदी बढ़कर 41.3 करोड़ डॉलर हो गया जो जनवरी 2021-22 में 40.7 करोड़ डॉलर था। तिरुपुर से निर्यात अगस्त में 14.7 फीसदी, सितंबर में 30.7 फीसदी, अक्टूबर में 37.8 फीसदी, नवंबर में 6.9 फीसदी और दिसंबर में 12.9 फीसदी गिरावट के बाद जनवरी में इतना बढ़ा है।
निर्यात में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिका एवं यूरोपीय देशों में मंदी, ऊंची महंगाई और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मांग में नरमी थी। उद्योग के जानकारों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि में लोगों ने खाने-पीने का सामान खरीदना, गैस, बिजली और ईएमआई चुकाना बेहतर माना था। इसके अलावा कपास एवं धागे की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बांग्लादेश, वियतनाम एवं थाईलैंड जैसे प्रतिस्पर्धी देशों से सस्ता माल मिलने के कारण भी जनवरी से पहले मांग पर असर पड़ा था।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान देश से निर्यात 0.9 फीसदी बढ़कर 6.7 अरब डॉलर हो गया। जबकि पिछले पांच महीनों के दौरान गिरावट के बावजूद तिरुपुर से निर्यात में 3.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। अप्रैल से जनवरी 2022-23 की अवधि में इस क्षेत्र से निर्यात बढ़कर 3.713 अरब डॉलर हो गया जो 2021-22 की समान अवधि में 3.691 अरब डॉलर रहा था।
सुब्रमण्यन ने कहा कि तुर्किये में कारखाने बंद हो रहे हैं। ऐसे में खरीदारों के पास पड़ा माल घटने से भी इस क्षेत्र को अधिक ऑर्डर मिलने में मदद मिली है। भारत से निटवियर के कुल निर्यात में अमेरिका और यूरोप की हिस्सेदारी 63 फीसदी है। इसमें अमेरिका की 34 फीसदी और यूरोप की 29 फीसदी हिस्सेदारी है। ब्रिटेन की हिस्सेदारी 9 फीसदी है।
शक्तिवेल ने कहा, ‘मांग में गिरावट के दौरान बुनाई मिल चार या पांच दिन के लिए ही चलाई जाती थीं। लेकिन अब मिलें सातों दिन चलने लगी हैं। इसका मतलब साफ है कि अब जरूरतें बढ़ने लगी हैं और वैश्विक कंपनियां यहां से खरीदारी में दिलचस्पी दिखा रही हैं।’
TEA के अनुसार क्रिसमस सीजन और नए साल के सेल से भी निर्यात को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा, ‘धागे की कीमतों में नरमी आने से परिधानों के दाम भी घटने लगे हैं।’ महीने के दौरान पूरे देश से रेडीमेड परिधान का निर्यात 3.45 फीसदी घटकर 1.493 अरब डॉलर रह गया जो पिछले साल 1.546 अरब डॉलर था।