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Budget 2024: रोजगार सृजन और PLI पर जोर, निर्मला सीतारमण की अर्थशास्त्रियों संग बैठक

सरकार ने वित्त वर्ष 25 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 फीसदी या 16.85 लाख करोड़ रुपये तय किया था।

Last Updated- June 19, 2024 | 10:24 PM IST
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Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बुधवार को अर्थशास्त्रियों  के साथ हुई एक बैठक में राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर कायम रहने, लघु व मध्यम उद्यमों तक उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) का विस्तार, रोजगार सघन क्षेत्रों में नई नौकरियों के सृजन और खपत बढ़ाने पर प्रमुख तौर पर चर्चा हुई।

इस बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने बताया, ‘राजकोषीय स्थिति बनाए रखी जानी चाहिए। सरकार ने राजकोषीय समझदारी दिखाई है और राजकोषीय घाटे को काबू में रखा है। अभी संशोधित अनुमानों ने भी सकारात्मक संकेत पेश किए हैं।’

सरकार ने वित्त वर्ष 25 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 फीसदी या 16.85 लाख करोड़ रुपये तय किया था। वित्त वर्ष 24 के लिए संशोधित लक्ष्य 5.8 फीसदी था जबकि इसका पहले अनुमान 5.9 फीसदी जताया गया था। लेकिन वास्तव में वित्त वर्ष 24 में राजकोषीय घाटा और कम होकर 5.6 फीसदी हो गया।

अर्थशास्त्रियों ने इस बैठक में जोर देकर कहा कि बजट में और नौकरियां सृजित किए जाने की जरूरत है। नीतियां अर्थव्यवस्था में अधिक रोजगार सृजन पर केंद्रित होनी चाहिए।

इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के निदेशक नागेश कुमार ने बताया, ‘इसमें बजट की प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा हुई। हमने ये मुद्दे भी उठाए कि कैसे सतत वृद्धि की गति और पूंजीगत व्यय को कायम रखा जाए। बजट की प्राथमिकता नौकरियों का सृजन होना चाहिए।’

इसके अलावा अर्थशास्त्रियों ने अर्थव्यवस्था के क्षमता आधारित उपायों पर चर्चा की थी। ये उपाय सतत विकास पर आधारित होने चाहिए। सतत विकास की गति को कायम रखने के लिए निजी क्षेत्र के निवेश और उपभोग को बढ़ाए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया गया।

इस क्रम में पूंजीगत व्यय के लिए कोष गठित करने का सुझाव भी दिया गया था। कहा गया कि इस कोष में भारतीय रिजर्व बैंक के लाभांश का कुछ हिस्सा रखा जाए और बजट से विनिवेश को अलग रखा जाए।

सुझावों के बारे में एक स्रोत ने बताया, ‘ किसी भी विनिवेश से मिली प्राप्तियों को पूंजीगत व्यय में शामिल किया जाए। बजट को सामाजिक कल्याण की योजनाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 24 के संशोधित अनुमानों की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 (वित्त वर्ष 25) के लिए केंद्र के पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को 16.9 फीसदी बढ़ाकर 11.1 लाख करोड़ रुपये कर दिया था।

अर्थशास्त्रियों ने करों के मामले में यह राय दी कि नई कर योजना में कर दरों को तर्कपूर्ण बनाए जाने की जरूरत है या स्लैब को महंगाई के अनुसार बनाया जाए। अर्थशास्त्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि वित्त मंत्रालय को स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च बढ़ाने की जरूरत है।

सीतारमण से मुलाकात करने वाले 13 अर्थशास्त्री और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों में नैशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च की महानिदेशक पूनम गुप्ता, पूर्व सांख्यिकीविद् टीसीए अनंत आदि शामिल थे।

First Published - June 19, 2024 | 10:16 PM IST

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