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रेलवे में निजी निवेश की नई पटरी पर दौड़! सरकार ला सकती है ‘हाइब्रिड एन्युटी मॉडल’

रेलवे ने पहले भी इस तरह की कवायद शुरू की थी, जिससे पीपीपी मॉडल के लिए रेलवे के कुछ विशेष प्रकार के बुनियादी ढांचे का विकास किया जा सके।

Last Updated- October 23, 2025 | 6:08 AM IST
Indian Railways
Representative Image

रेलवे में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए रेल मंत्रालय हाइब्रिड एन्युटी मॉडल के समान मॉडल अपनाने और कंसेशन के आधार पर परियोजनाओं की बोली की संभावना पर विचार कर रहा है।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इस संबंध में शुरुआती चर्चा शुरू हो गई है। इस मॉडल पर बोली लगाई जा सकने वाली संभावित परियोजनाओं की पहचान करने और उसकी एक सूची बनाने की कवायद की जा रही है।’

निवेश व बुनियादी ढांचे के सृजन के लिए एचएएम एक लोकप्रिय मॉडल है। खासकर राजमार्ग क्षेत्र में यह सफल रहा है। राजमार्गों के निर्माण के मामले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण परियोजना की कुल लागत का 40 प्रतिशत अग्रिम भुगतान करता है। शेष 60 प्रतिशत का भुगतान किस्तों या एन्युटी में किया जाता है। रखरखाव की अवधि के दौरान राजमार्ग कंसेशन को हस्तांतरणीय संपत्ति माना जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह जोखिम रहित सार्वजनिक निजी (पीपीपी) हिस्सेदारी है। इसमें कांट्रैक्ट देते समय प्राधिकरण को शुरुआत में ज्यादा धन की जरूरत नहीं होती है और प्राधिकरण अधिक परियोजनाएं आवंटित करने में सक्षम हो पाता है।  बचत किए गए धन से टेंडर देने वाली एजेंसी को अधिक परियोजनाओं को काम करने का अवसर मिल पाता है।

इस सिलसिले में रेल मंत्रालय को 16 अक्टूबर को भेजे गए मेल का कोई जवाब खबर छपने को जाने तक नहीं मिल सका।

रेलवे ने पहले भी इस तरह की कवायद शुरू की थी, जिससे पीपीपी मॉडल के लिए रेलवे के कुछ विशेष प्रकार के बुनियादी ढांचे का विकास किया जा सके। बहरहाल रेलवे परियोजनाओं की जटिल प्रकृति के कारण एचएएम का मार्ग सुगम नहीं हो सका, जितना सड़क क्षेत्र के लिए रहा है। ईवाई इंडिया के पार्टनर और नैशनल लीडर इन्फ्रास्ट्रक्चर कुलजीत सिंह ने कहा, ‘रेलवे 2000 के दशक की शुरुआत से ही एचएएम परियोजनाएं आजमा रहा है, जिसमें ज्यादातर सफल नहीं हुईं। एचएएम को सफलता से लागू करने में एक प्रमुख चुनौती, सुरक्षा को लेकर दिए जाने वाले तर्क हैं। इसकी वजह से फैसले करने वाले रखरखाव का दायित्व निजी क्षेत्र को सौंपने को अनिच्छुक हैं। इसकी वजह से एचएएम परियोजना की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं।’

रेटिंग एजेंसी केयरएज रेटिंग्स द्वारा फरवरी में किए गए विश्लेषण के अनुसार राजमार्ग परियोजनाओं के लिए एचएएम मॉडल पसंदीदा रहा है। वित्त वर्ष 2021-24 के बीच दी गई कुल परियोजनओं में 55 प्रतिशत इस मॉडल पर दी गई हैं।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 2015 से 2024 के बीच हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर 374 परियोजनाओं का आवंटन किया है। ये परियोजनाएं 16,000 किमी के लिए हैं, जिनकी कुल बोली परियोजना लागत 4.03 लाख करोड़ रुपये से ऊपर है। रेलवे को वित्त मंत्रालय द्वारा लगातार बड़ा पूंजीगत व्यय बजट मिल रहा है। 2025-26 में रेलवे को 2.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें से उसने सितंबर तक 1.42 लाख करोड़ रुपये (56 प्रतिशत) खर्च कर दिए हैं।

First Published - October 23, 2025 | 6:08 AM IST

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