चेन्नई में एक घर में अवैध रूप से रखे गए पटाखों में 20 अक्टूबर को दीवाली के दिन विस्फोट हो जाने से कम से कम चार लोगों की जान चली गई। दीवाली के त्योहार पर यह कोई अकेली दुर्घटना नहीं है, इस मौके पर देश भर से ऐसी खबरें आती हैं जिनमें बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
वर्ष 2014 और 2023 के बीच देश में कारखानों, उत्पादन इकाइयों, दुकानों और आवासीय क्षेत्रों सहित विभिन्न स्थानों पर लगभग पटाखों से दुर्घटनाओं के 1,489 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें 1,469 लोगों की मौत हो गई और 571 घायल हुए। अकेले 2023 में ही पूरे देश में पटाखे से संबंधित हादसों में 169 मौतें हुई हैं, जिनमें से 106 मामले चार दक्षिणी राज्यों से सामने आए। खास बात यह है कि इन दुर्घटनाओं में ज्यादातर शिकार पुरुष हुए।
वैसे देश में पटाखों से संबंधित दुर्घटनाएं हर साल घटती-बढ़ती रहती हैं। वर्ष 2014 में ऐसे 151 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2016 तक तेजी से बढ़कर 253 हो गए। लेकिन बाद के वर्षों में यह रुझान उलट गया और 2021 में मामले घटकर 129 और 2022 में केवल 90 पर आ गए। वर्ष 2023 में यह संख्या दोबारा बढ़कर 121 पर पहुंच गई।
पटाखों से संबंधित घटनाओं में सबसे अधिक मौतें युवाओं (18 वर्ष और उससे अधिक) की होती हैं। वर्ष 2023 में पटाखे से संबंधित सबसे अधिक दुर्घटनाएं तमिलनाडु, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में दर्ज की गईं।