अमेरिकी प्रशासन द्वारा जवाबी शुल्क को अस्थायी रूप से रोकने तथा अधिकांश देशों पर अतिरिक्त 10 फीसदी बुनियादी शुल्क जारी रखने के निर्णय से अमेरिकी बाजार में कारोबार करने वाले कुछ निर्यातकों को राहत मिलने की संभावना है।
अमेरिका ने 2 अप्रैल को विभिन्न देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जो 9 अप्रैल से प्रभावी था। इसमें भारत पर 26 फीसदी जवाबी शुल्क लगाया गया था। इससे निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि अमेरिकी खरीदारों ने ऑर्डर रोक दिए और कुछ मामलों में निर्यातकों को उत्पादन लगभग बंद करना पड़ा। शुल्क में भारी इजाफे को देखते हुए खरीदार निर्यातकों से भारी छूट की मांग कर रहे थे।
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बुधवार को चीन से आयात पर 125 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा की, जबकि अन्य देशों पर लगाए गए जवाबी शुल्कों को 90 दिन के लिए टाल दिया। ट्रंप ने कहा कि 75 से अधिक देशों ने शुल्क वृद्धि पर कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की थी और वे अमेरिका के साथ बातचीत कर रहे थे।
निर्यातकों के संगठन फियो के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा कि जवाबी शुल्क पर 90 दिन की रोक और 10 फीसदी बुनियादी शुल्क से उत्पादन और आपूर्ति में फिलहाल कोई बाधा नहीं आएगी। सहाय ने कहा, ‘अमेरिकी खरीदारों द्वारा ऑर्डर रोके जाने से कुछ निर्यातक अपना उत्पादन बंद करने पर विचार कर रहे थे। मगर अब उन्हें दो से तीन सप्ताह में मांग वापस आने की उम्मीद है। इसलिए कंपनियां उत्पादन जारी रखेंगी और अमेरिका को निर्यात करेंगी।’
निर्यातकों ने कहा कि वे अभी स्थिति पर नजर रख रहे हैं और शुल्क घटकर 10 फीसदी होने से कुछ क्षेत्रों को अस्थायी राहत मिलेगी। समुद्री उत्पाद, रत्न एवं आभूषण और कालीन जैसे क्षेत्रों पर 26 फीसदी शुल्क लगाए जाने का सबसे अधिक असर पड़ने की आशंका है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष किरीट भंसाली ने कहा कि जवाबी शुल्क टाले जाने से मामूली राहत मिलेगी लेकिन रत्न और आभूषण क्षेत्र पर दबाव बना रहेगा। भंसाली ने कहा, ‘जहां तक आभूषणों की बात है तो इस पर 6.5 फीसदी के अलावा 10 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगेगा। अतिरिक्त लागत आपूर्तिकर्ता और खरीदार दोनों को वहन करनी होगी।
लूज डायमंड खंड के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। इस क्षेत्र में मार्जिन पहले से ही कम है और 10 फीसदी अतिरिक्त शुल्क से कारोबार पर दबाव बढ़ेगा।’ अमेरिका द्वारा चीन पर 125 फीसदी से अधिक शुल्क लगाया गया है। ऐसे में निर्यातकों का मानना है कि चीन अमेरिकी बाजार से बाहर निकल जाएगा जो भारत के लिए अवसर के साथ-साथ जोखिम भी है। सहाय ने कहा कि भारत अधिक निवेश आकर्षित करने की स्थिति में होगा क्योंकि कंपनियों के चीन से बाहर निकलने की उम्मीद है। इसके साथ ही जवाबी शुल्क कंपनियों को उच्च शुल्क से बचने के लिए एक देश में उत्पादन केंद्रित करने से रोकेगा जिससे भारत जैसे देशों को लाभ होगा।
दूसरी तरफ, भारत के निर्यात को अमेरिका के अलावा अन्य बाजारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकी बाजार में चीनी उत्पादों की मांग कम होने से चीन के उत्पादों की कीमतें कम हो सकती हैं। इससे भारत के लिए अन्य देशों को निर्यात बढ़ाने का प्रयास और चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
ईवाई इंडिया में टैक्स पार्टनर विपिन सपरा ने कहा कि जवाबी शुल्क पर 90 दिन का विराम अल्पकालिक राहत है मगर 10 फीसदी शुल्क जारी रहने से भारतीय निर्यात की लागत बढ़ जाएगी और वियतनाम तथा बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धियों पर हमारा शुल्क लाभ लगभग खत्म हो जाएगा।