भारतीय निर्यात पर अमेरिका द्वारा औसत प्रभावी टैरिफ दरें बढ़ाने से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि 0.1 से 0.3 प्रतिशत अंक तक प्रभावित हो सकती है। अमेरिकी सरकार की अप्रैल की शुरुआत में योजनाबद्ध समान टैरिफ और भारतीय वस्तुओं के लिए अमेरिकी मांग की कीमत लोच जैसे विभिन्न पहलुओं पर गौर करते हुए गोल्डमैन सैक्स ने ये अनुमान जारी किए हैं।
अमेरिका द्वारा सभी देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया तो संभावित जीडीपी वृद्धि प्रभाव 0.1 से लेकर 0.6 प्रतिशत अंक तक हो सकता है। गोल्डमैन सैक्स ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि अन्य देशों में निर्यात के माध्यम से अमेरिका में एक्सपोजर को देखते हुए भारत की घरेलू गतिविधि का अमेरिकी अंतिम मांग के मुकाबले लगभग दोगुना (जीडीपी का 0.4 प्रतिशत) तक ऊंचा होगा।
नवीनतम निष्पक्ष और पारस्परिक योजना के तहत अमेरिका अन्य देशों के समान टैरिफ, कर और गैर-टैरिफ बाधाओं के अनुरूप एक पारस्परिक योजना पर काम कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार पारस्परिक टैरिफ लगाए जाने पर भारत तीन स्तरों देश, उत्पाद और गैर टैरिफ बाधा आदि से प्रभावित हो सकता है। देश के स्तर पर समान टैरिफ व्यवस्था लागू करना सबसे स्पष्ट दृष्टिकोण होगा, जिसमें भारत से सभी अमेरिकी आयात पर बढ़े हुए टैरिफ शामिल होंगे।
आम तौर पर भारतीय आयातित वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले शुल्क की तुलना में भारत अमेरिकी आयात पर अधिक शुल्क लगाता है। अमेरिकी आयात पर भारत की प्रभावी टैरिफ दर 9.4 प्रतिशत है जबकि अमेरिका भारतीय आयात पर 2.9 प्रतिशत की प्रभावी टैरिफ दर लगाता है। इस प्रकार दोनों देशों के आयात शुल्क में 6.5 प्रतिशत अंक का बड़ा अंतर दिखाई देता है।
इसमें कहा गया है, ‘उत्पाद-स्तरीय टैरिफ व्यवस्था है, जहां भारत से आयात किए जाने वाले उत्पादों पर उसी के टैरिफ के समान शुल्क लगाता है। ऐसा होने पर अनुमान के मुताबिक औसत टैरिफ अंतर 11.5 प्रतिशत अंक तक बढ़ सकता है, लेकिन यदि लंबे समय तक लागू रहा तो यह अधिक जटिल होगा।’ इसमें कहा गया है कि गैर-टैरिफ बाधाओं सहित समान शुल्क व्यवस्था को लागू करना सबसे जटिल है और इससे टैरिफ और भी अधिक हो सकता है।