सरकार ने अपनी महत्त्वाकांक्षी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत चालू वित्त वर्ष में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक आवंटन का लक्ष्य रखा था मगर वास्तविक आवंटन इससे बहुत कम रह जाने की आशंका है। मामले से वाकिफ लोगों ने यह जानकारी दी।
प्रोत्साहन आवंटन कम रहने के कई कारण हैं जैसे कंपनियां सरकार द्वारा तय शर्तें पूरी नहीं करने के कारण प्रोत्साहन का दावा नहीं कर सकीं, आवेदन कम रहे और 14 पीएलआई योजनाओं में से कुछ में प्रगति बहुत धीमी रही।
कपड़ा और स्टील की पीएलआई योजना में ज्यादा प्रगति नहीं दिखी है। कुछ मामलों में परियोजना की अवधि इस साल के अंत तक पूरी होगी, जिसके बाद वित्त वर्ष 2025 से प्रोत्साहन का दावा किया जा सकेगा। कुछ पीएलआई योजनाओं के लिए आवेदन ही बहुत कम कंपनियों ने किया था।
भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाने के लिए वित्त वर्ष 2021 में 14 क्षेत्रों से जुड़ी पीएलआई योजनाएं शुरू की गई थीं। मगर वित्त वर्ष 2023 में केवल 2,874 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, जो 1.97 लाख करोड़ रुपये की कुल योजना राशि का 1.3 फीसदी ही है।
सरकार ने 11,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिए जाने का अनुमान लगाया था, जिसमें 6,000 करोड़ रुपये मोबाइल फोन विनिर्माण के लिए ही जाना था। मगर मोबाइल फोन विनिर्माण की पीएलआई योजना में करीब 1,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। अन्य योजनाओं के लिए भुगतान और भी कम रहा है। आवंटन की तस्वीर मार्च में साफ होगी, जब ज्यादातर कंपनियां अपने बिल जमा करेंगी।
मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘वित्त वर्ष 2024 के लिए 11,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के आंवटन का लक्ष्य था। हमें ऐसा होता नहीं दिख रहा और संशोधित आंकड़े तैयार किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर आंकड़े फिलहाल बहुत अच्छे नहीं हैं। इस बारे में तस्वीर फरवरी या मार्च तक साफ होगी क्योंकि ज्यादातर भुगतान उसी समय किया जाएगा।’
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर योजनाओं में प्रोत्साहन साल में एक बार दिए जाने की व्यवस्था है। इसीलिए साल में ज्यादातर समय प्रगति नहीं दिखती।
साल की शुरुआत में सरकार ने माना था कि स्टील, कपड़ा, बैटरी, सोलर फोटोवोल्टाइक सेल और वाहन जैसे क्षेत्रों में प्रगति धीमी रही और प्रोत्साहन बांटना अभी शुरू नहीं किया गया है। इनसे संबंधित मंत्रालयों ने इस बारे में विस्तृत विश्लेषण भी किया है। मोबाइल विनिर्माण, फार्मास्युटिकल ड्रग, बल्क दवा, चिकित्सा उपकरण, दूरसंचार उपकरण, खाद्य प्रसंस्करण और ड्रोन जैसे क्षेत्रों में पीएलआई अच्छा काम कर रही हैं।
एक व्यक्ति ने कहा, ‘वाहन क्षेत्र की पीएलआई योजना गति पकड़ रही है मगर इसकी रफ्तार संतोषजनक नहीं है। इसलिए योजना में अगड़ों और पिछड़ों की समस्या साफ नजर आ रही है।’
इसे देखते हुए नीति आयोग और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग भी मंत्रालयों से पीएलआई योजना पर पैनी नजर रखने के लिए कहेगा। अधिकारी ने कहा कि योजना को कैबिनेट से मंजूरी लेते समय जो वादे किए गए थे, मंत्रालयों को उनके अनुसार प्रगति दिखानी चाहिए।
केंद्र यह जानने का प्रयास कर रहा है कि किसी योजना में किसी तरह के बदलाव की आवश्यकता तो नहीं है। उक्त शख्स ने कहा, ‘अभी तक निवेश सही दिशा में है। इससे उम्मीद है कि पीएलआई योजना पटरी से नहीं उतरी है मगर इसकी प्रगति भी ठीक नहीं है। इसके अलावा समग्र प्रदर्शन को क्षेत्र के हिसाब से ही देखा जाना चाहिए।’