पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत अगले 2 साल में सभी घरेलू वाणिज्यिक उड़ानों में 1 प्रतिशत सतत विमान ईंधन (एसएएफ) मिलाना अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है। शुक्रवार को पुरी ने भारत में उत्पादित एसएफफ के 1 प्रतिशत मिश्रण से उड़ान को लेकर दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
पुणे दिल्ली एयर एशिया की उड़ान उतरने के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए पुरी ने कहा कि सरकार घरेलू एसएएफ का उत्पादन बढ़ाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार 2025 तक सभी घरेलू वाणिज्यिक उड़ानों में 1 प्रतिशत एसएएफ मिलाना अनिवार्य करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। पुरी ने कहा कि अगले कुछ साल में इसे बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया जा सकता है।
मंत्री ने कहा, ‘अगर हम जेट ईंधन में 2025 तक 1 प्रतिशत एसएएफ मिलाने का लक्ष्य रखते हैं तो हमें हर साल 14 करोड़ लीटर के करीब एसएएफ की जरूरत होगी। अगर हम 5 प्रतिशत एसएएफ मिलाने का लक्ष्य रखते हैं तो भारत को सालाना 70 करोड़ लीटर एसएएफ की जरूरत होगी।’
अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार को इस्तेमाल किए गए एसएएफ का उत्पादन प्राज इंडस्ट्रीज ने किया है, जिसने जेवो इंक के साथ साझेदारी करके अल्कोहल-टु-जेट(एटीजे) तकनीक विकसित किया है और बायो फीडस्टॉक का इस्तेमाल कर इससे एसएएफ का उत्पादन हो रहा है। एसएएफ के नमूने विस्तृत परीक्षण के लिए आईओसीएल की प्रयोगशाला में भेजे गए, उसके बाद इसे विशेष उड़ान के लिए विमान ईंधन में मिश्रित किया गया।
सरकारी कंपनी आईओसीएल इस समय पानीपत, हरियाणा में संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है, जिससे इसी तकनीक से एसएएफ का उत्पादन किया जा सके। अधिकारी ने कहा कि आईओसीएल की पानीपत रिफाइनरी में 3,000 करोड़ रुपये लागत से बनने वाले संयंत्र में ढाई साल में मक्के, सेलुलोज वाले या चीनी से बने एथनॉल को एलएएफ में बदला जा सकेगा।
इसकी शुरुआती उत्पादन क्षमता सालाना 85000 टन ईंधन उत्पादन की होगी। बिजनेस स्टैंडर्ड ने पिछले महीने खबर दी थी कि आईओसीएल उत्पादन संयंत्र में घरेलू एयरलाइंस को अल्पांश हिस्सेदारी की पेशकश कर सकती है। पुरी ने कहा कि गन्ने के शीरे का इस्तेमाल कर एसएएफ का उत्पादन विमानन क्षेत्र की आत्मनिर्भरता और डी-कॉर्बनाइजेशन की दिशा में एक अहम कदम है, क्योंकि भारत ने 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई है।