कुमारमंगलम बिड़ला की अगुआई वाली अल्ट्राटेक सीमेंट (Ultratech cement) ने चेन्नई की इंडिया सीमेंट्स (India Cements) में 23 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है। कंपनी ने आज ऐलान किया कि खुले बाजार से कुल 1,889 करोड़ रुपये में ये शेयर खरीदे गए हैं।
अल्ट्राटेक देश की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी है और उसने इंडिया सीमेंट्स में यह हिस्सेदारी अरबपति निवेशक राधाकृष्ण दमानी और उनकी सहायक इकाइयों से खरीदी है। इंडिया सीमेंट्स के प्रवर्तक एन श्रीनिवासन और अन्य प्रवर्तक समूहों की 28 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो अब भी कायम है।
आदित्य बिड़ला समूह (Aditya Birla Group) की कंपनी अल्ट्राटेक ने इंडिया सीमेंट्स के 7.056 करोड़ शेयर 268 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे। इस तरह सौदा कुल 1,889 करोड़ रुपये में हुआ।
शेयर खरीद के बाद अटकलें बढ़ गई हैं कि अल्ट्राटेक इंडिया सीमेंट्स का जबरिया अधिग्रहण करना चाह रही है। जबरिया अधिग्रहण तब होता है, जब कोई कंपनी किसी अन्य कंपनी पर उसके प्रबंधन की रजामंदी के बगैर नियंत्रण हासिल कर लेती है।
अल्ट्राटेक ने इंडिया सीमेंट्स में 23 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है और एन श्रीनिवासन की अगुआई में प्रवर्तक समूह के पास केवल 28.42 फीसदी हिस्सा है। 23 फीसदी हिस्सेदारी लेने के बाद भी अल्ट्राटेक को इंडिया सीमेंट्स के लिए खुली पेशकश नहीं लानी पड़ेगी मगर कोई प्रतिस्पर्द्धी कंपनी इसके लिए बोली नहीं लगा सकेगी।
इस वजह से अल्ट्राटेक ने उठाया कदम
माना जा रहा है कि अल्ट्राटेक का यह कदम एक नीति के तहत उठाया गया है क्योंकि उसे दक्षिण भारत के बाजार में विस्तार के लिए अदाणी समूह (Adani Group) से टक्कर लेनी पड़ रही थी।
अल्ट्राटेक और अदाणी समूह सीमेंट उद्योग में लगातार अधिग्रहण किए जा रहे हैं। इंडिया सीमेंट्स में हिस्सेदारी खरीदने के बाद बाजार में अल्ट्राटेक की पैठ और भी गहरी हो जाएगी।
कंपनी पर नियंत्रण नहीं दिलाने वाली हिस्सेदारी खरीदने की अल्ट्राटेक की नीति विश्लेषकों को हजम नहीं हो रही है और मामना जा रहा है कि आगे अधिग्रहण की घोषणा हो सकती है।
निर्मल बांग की विश्लेषक ज्योति गुप्ता ने कहा, ’90 डॉलर प्रति टन पर सौदा ठीकठाक ही लग रहा है मगर यह स्पष्ट नहीं है कि 23 फीसदी हिस्सेदारी से अल्ट्राटेक के मौजूदा कामकाज में कितना इजाफा होगा।
दक्षिण भारत में अल्ट्राटेक की इकाई भी जल्द शुरू होने की उम्मीद
दक्षिण भारत में अल्ट्राटेक की अपनी इकाई भी जल्द शुरू होने की उम्मीद है। अल्ट्राटेक को अपनी कुछ संपत्तियों में नकदी लगानी पड़ेगी और कुछ संयंत्रों के पास चूना पत्थर का भंडार भी कम है।’
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि 23 फीसदी हिस्सेदारी के बावजूद अल्ट्राटेक की इंडिया सीमेंट्स के बोर्ड में शामिल होने की कोई योजना नहीं है।
इंडिया सीमेंट्स में आगे और हिस्सेदारी बढ़ाने तथा अन्य सवालों की जानकारी के लिए अल्ट्राटेक को ईमेल भेजा गया। लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
प्रभुदास लीलाधर में विश्लेषक तुषार चौधरी ने कहा, ‘इंडिया सीमेंट की उत्पादन क्षमता 1.45 करोड़ टन सालाना है और साथ ही उसके पास सालाना 1.13 करोड़ टन क्लिंकर उत्पादन की भी क्षमता है। ऐसे में अल्ट्राटेक अगर भविष्य में इंडिया सीमेंट्स के प्रवर्तकों के साथ कोई सौदा करने में सफल होती है तो दक्षिण भारत के बाजारों में उसकी पैठ बढ़ जाएगी।’
निवेशकों के सामने प्रस्तुति में कंपनी ने बताया कि इस साल मार्च तक दक्षिण भारत में अल्ट्राटेक की सालाना 2.05 करोड़ टन की सीमेंट उत्पादन की क्षमता थी। केसोराम इंडस्ट्रीज से सौदा पूरा होने के बाद इसमें 1.07 करोड़ टन क्षमता का इजाफा हो जाएगा।
उद्योग के विश्लेषकों ने कहा कि केसोराम की उत्पादन क्षमता के साथ अल्ट्राटेक दक्षिण भारत की सबसे बड़ी सीमेंट उत्पादक कंपनी बन जाएगी। जब कंपनी खुद भी क्षमता विस्तार करेगी तो वित्त वर्ष 2027 तक दक्षिण में उसकी क्षमता बढ़कर 3.55 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी। अगर अल्ट्राटेक इंडिया सीमेंट में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदती है तो कंपनी की दक्षिण भारत में कुल मौजूदा क्षमता में 3.5 करोड़ टन फौरन जुड़ जाएंगे।
दक्षिण भारत के सीमेंट बाजार में अधिग्रहण के सौदे खूब देखे जा रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में अंबुजा सीमेंट ने पेन्ना सीमेंट्स का अधिग्रहण करने का ऐलान किया था। अप्रैल में अंबुजा ने माई होम इंडस्ट्रीज से तमिलनाडु में ग्राइंडिंग इकाई खरीदने की योजना का ऐलान किया था।