शाइन जैकबभारत से आने वाले माल पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की घोषणा भारतीय कपड़ा उद्योग की निर्यात से जुड़ी महत्त्वाकांक्षाओं के लिए झटका है। मगर उद्योग को उम्मीद है कि यह मामला जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
भारत पर शुल्क बढ़ा दिया गया है मगर यह बांग्लादेश और कंबोडिया के मुकाबले 10 फीसदी तथा श्रीलंका के मुकाबले 5 फीसदी कम है। अमेरिकी बाजार में भारत को सबसे ज्यादा टक्कर देने वाले चीन की तुलना में तो यह 20-25 फीसदी कम है। मगर ट्रंप ने स्पष्ट नहीं किया है कि शुल्क के बाद जुर्माने की राशि क्या होगी। इस बात से क्षेत्र को चिंता है।
कपड़ा और परिधान के निर्यात के लिए भारत का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है। इस साल जनवरी से मई तक अमेरिका ने भारत से 4.59 अरब डॉलर के कपड़े और परिधान का आयात किया था, जो पिछले साल जनवरी से मई तक हुए 4.05 अरब डॉलर निर्यात से 13 फीसदी अधिक है। इस इजाफे का बड़ा कारण चीन और बांग्लादेश से अमेरिका को होने वाले आयात में गिरावट है। अमेरिका ने बांग्लादेश से निर्यात पर 35 फीसदी शुल्क लगाया है और इंडोनेशिया के लिए 19 फीसदी, वियतनाम के लिए 20 फीसदी तथा कंबोडिया के लिए 36 फीसदी दर तय की गई है।
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सिटी) के चेयरमैन राकेश मेहरा ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि शुल्क की नई दर से भारतीय कपड़ा और परिधान के निर्यातकों को भारी परेशानियां होंगी क्योंकि बांग्लादेश को छोड़कर ऐसे किसी भी देश के मुकाबले हमारे शुल्क में ज्यादा अंतर नहीं है, जिसके साथ हम अमेरिकी बाजार में होड़ करते हैं। जुर्माने की रकम स्पष्ट नहीं होने से कारोबार के लिए अनिश्चितता और भी बढ़ जाती है क्योंकि योजना बनाने में परेशानी आती है।’
इंडियन टैक्सप्रेन्यर्स फेडरेशन (आईटीएफ) के संयोजक प्रभु दामोदरन ने कहा, ‘हमें लगता है कि बातचीत जारी रहने से शुल्क दरों में बदलाव आ सकती है। 10 फीसदी शुल्क की उम्मीद की जा रही थी मगर 25 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा से झटका तो लगा ही है। लेकिन कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं का बड़ा भारतीय बाजार दुनिया भर के खरीदारों को यहां आने और पसंद करने की बड़ी वजह है। पैमाना और होड़ बढ़ रहे हैं, इसलिए हमें चीन प्लस वन की रफ्तार को बरकरार रखने पर ध्यान देना होगा।’
मेहरा ने सिटी की ओर से उम्मीद जताई कि सरकार भारत के कपड़ा और परिधान क्षेत्र पर अमेरिकी शुल्क के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए निर्यातकों की मदद की व्यवस्था करेगी। उन्होंने कहा, ‘आखिरकार इसमें निर्यात से होने वाली आय ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में रोजगार सृजन भी दांव पर है।’ भारत ने 2030 तक 100 अरब डॉलर के कपड़ा निर्यात का लक्ष्य रखा है।