देश के तीन प्रमुख ब्रोकर कई नियामकीय और प्रवर्तन एजेंसियों की जांच के घेरे में आ गए हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने रविवार को बताया कि इन ब्रोकरों पर काले धन को वैध बनाने और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कारोबारी गतिविधियों से जुड़े रहने का आरोप है।
अधिकारियों ने यह भी कहा कि तीन ब्रोकरों (मौजूदा जांच की वजह से जिनकी पहचान गुप्त रखी गई है) को पीईपी (राजनीति से प्रेरित व्यक्ति ) से जुड़ा पाया गया है। तीनों प्रमुख ब्रोकरों के खिलाफ जांच कई मामलों में 4-5 साल से चल रही है। ये ब्रोकर पूंजी बाजारों और वित्तीय सेवा क्षेत्र (ब्रोकरेज, निवेश परामर्श सेवाए, पोटफोलियो प्रबंधन, परिसंपत्ति प्रबंधन और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाएं शामिल) के कई सेगमेंटों से जुड़े संगठनों को चला रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि अब तक जांच में शामिल एजेंसियों और नियामकों में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) शामिल हैं, हालांकि इन तीनों ने अब पीईपी से संपर्क होने के संदेह में जांच के लिए सीबीआई की मदद लेने की बात कही है।
हालांकि पूंजी बाजार ब्रोकरों की मदद से की जाने वाली संदिग्ध मनी लॉन्डरिंग गतिविधियां हमेशा से जांच के घेरे में आती रही हैं, लेकिन कुछ शीर्ष रैंकिंग ब्रोकरेज और वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनियों के संदर्भ में यह पहला बड़ा मामला हो सकता है।
यह जांच कई वित्तीय और बैंकिंग लेनदेन, कोष के कर रियायत वाले क्षेत्रों में स्थानांतरण, कॉल डेटा रिकॉर्ड सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं से जुड़ी हुई है।
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करोड़ रुपये के फंड स्थानांतरण की पहचान में मदद के लिए प्रशासनिक सहायता पाने के लिए कई क्षेत्राधिकारों को अनुरोध भेजे गए थे। स्विटजरलैंड समेत कुछ क्षेत्र इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया पहले ही दे चुके हैं।
अधिकारियों ने बताया कि तीनों ब्रोकर सबसे पहले स्पॉट कमोडिटी एक्सचेंज से जुड़े एक मामले में अपनी जिम्मेदारियों की जांच के दायरे में आए, लेकिन जल्द ही उन्हें अन्य बड़ी मनी लाॉन्डरिंग गतिविधियों में संलिप्त पाया गया।