भारत को तेल एवं प्राकृतिक गैस संसाधनों के विकास और उत्खनन में अधिक निवेश करने के साथ यूएई में होने वाले वैश्विक जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी 28 में कार्बन मुक्त विकल्पों के उत्खनन की जरूरत पर कायम रहना चाहिए। पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि यह सुझाव सीओपी 28 के अंतर मंत्रालय की सिफारिशों का भी हिस्सा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन या यूएनएफसीसीसी की पार्टियां के सम्मेलन को आमतौर पर सीओपी 28 कहा जाता है। यह दुबई में 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक होगा।
बीते कुछ वर्षों के दौरान पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर भविष्य में निवेश पर प्रतिबंध लगाना प्रमुख मुद्दा बन गया है। जी7 देश मई, 2022 में करदाताओं से जुटाए धन को विदेशों में तेल, गैस और कोयला परियोजनाओं पर रोक लगाने पर सहमत हो गए थे।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के तेल व गैस उत्खनन व उत्पादन में मुख्य तौर पर निवेश करने का आह्वान किया है। हम कार्बन उत्सर्जन को चरणबद्ध ढंग से कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ऐसी स्थितियां नहीं चाहते हैं कि वैश्विक स्तर पर इन निवेश पर प्रतिबंध लगे जबकि हम अपनी जरूरतों और ऊर्जा जरूरतों के लिए समझौता नहीं कर सकते हैं।’
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के मुताबिक वर्ष 2023 में वैश्विक तेल की मांग में भारत की हिस्सेदारी 5.5 प्रतिशत है जबकि अमेरिका की 20 फीसदी और चीन की 16.1 फीसदी है। लिहाजा इन दो देशों की तुलना में भारत की तेल की मांग की हिस्सेदारी कम है।
हालांकि भारत में तेल की मांग तेजी से बढ़ रही है और यह अगले पांच वर्षों में 6.6 फीसदी पर पहुंच सकती है। वैसे, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के अनुमान के मुताबिक भारत की प्राथमिक ऊर्जा मांग वर्ष 2045 में दोगुनी से अधिक बढ़कर 385 लाख बैरल प्रतिदिन (एमबीओई/डी) के बराबर हो जाएगी।
अन्य अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय ने अंतर मंत्रालय बैठक के दौरान इन आंकड़ों की भी जानकारी दी थी। रोचक तथ्य यह है कि अभी तक भारत तेल और गैस सहित सभी जीवाश्म ईँधन को चरणबद्ध ढंग से हटाए जाने का पक्षधर रहा है।
भारत ने सीओपी 27 में कोयले सहित सभी जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध ढंग से बढ़ाए जाने का दायरा बढ़ाए जाने की आवाज बुलंद की थी। यह अनुरोध हाल में नई दिल्ली में आयोजित जी 20 सम्मेलन में भी किया गया था। इस सम्मेलन में
समूह के कार्बन उत्सर्जन को कम करने की चरणबद्ध योजना की गुजारिश भी की गई थी। हालांकि मेजबान देश ने प्रमुख हाइड्रोकार्बन उत्पादक देशों विशेष तौर पर सऊदी अरब के चरणबद्ध तरीके से कोयले के सीमित करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।
ज्यादा घरेलू उत्पादन
अभी भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 10 लाख वर्ग किलोमीटर उत्खनन को हासिल करना है। इसके अलावा ध्येय भारत के अपतटीय तलछटी क्षेत्रों में ‘नो गो’ क्षेत्र को 99 प्रतिशत कम करना है।
केंद्र ने कंपनियों के लिए तेल और गैस उत्खनन को आसान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस क्रम में ब्लाक की पूर्व स्वीकृत मंजूरी, आवेदन प्रक्रिया को कम करने के लिए स्वप्रमाणन की मंजूरी और ब्लॉक में संचालन की गतिविधियां करने की कंपनियों को इजाजत दी है।