ऑनलाइन गेमिंग स्वनियामक (self regulatory) निकायों के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय क्या करें व क्या न करें की सूची पेश कर सकता है। ऑनलाइन गेमिंग के कामकाज की रूपरेखा तय करने के लिए हाल में जारी नियमों के तहत यह सूची जारी किए जाने की संभावना है।
मंगलवार को मंत्रालय ने ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े आईटी (इंटरमीडिएटरी गाइडलाइंस ऐंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम, 2021 के मसौदे में संशोधन के लिए परामर्श किया।
इसमें सभी प्रमुख उद्योग निकायों, गेमिंग कंपनियों, पॉलिसी एडवोकेसी ग्रुप्स और कानून के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और नीति के प्रावधानों पर चर्चा की। मसौदे पर फीडबैक देने की अंतिम तिथि एक सप्ताह और बढ़ाकर 25 जनवरी कर दी गई है।
इस माह की शुरुआत में जारी मसौदा नियम में स्वनियामकीय संगठनों (एसआरओ) के गठन की बात की गई है, जो प्रमाणित करेंगे कि भारत में ऑनलाइन गेम के रूप में किसे अनुमति है। सभी गेमिंग मध्यस्थों को एक एसआरओ के साथ पंजीकृत कराना होगा और एसआरओ द्वारा पंजीकृत गेम पर पंजीकरण चिह्न लगाना होगा। ये निकाय इस क्षेत्र के हर तरह के विवादों के मामलों को देखेंगे।
जब हिस्सेदारों ने इन एसआरओ पर प्रमुख कंपनियों के कब्जे के जोखिम की बात कही, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने एसआरओ के कामकाज के लिए बने मौजूदा आदर्श नियमन पर फीडबैक मांगा।
उन्होंने कहा कि इसमें निकायों को अनिवार्य रूप से खुलासा जरूरतों को शामिल किया जा सकता है, जिससे कि विवादों के निपटान में हितों में किसी तरह का टकराव नहीं हो।
मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि जरूरी नहीं है कि मौजूदा गेमिंग फेडरेशनों या उद्योग निकायों द्वारा एसआरओ का गठन किया जाए, मानदंडों को पूरा करने वाला कोई भी संगठन एसआरओ के रूप में काम कर सकता है। नियमों के मुताबिक गेमिंग कंपनियों को अपने खिलाड़ियों का अनिवार्य सत्यापन ‘नो योर कंज्यूमर’ प्रक्रिया से करना होगा।
साथ ही नियमों का अनुपालन करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी। ये अधिकारी 24 घंटे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाकर शिकायतों का निवारण व कानून के प्रवर्तन का काम करेंगे।
उद्योग निकाय के एक प्रतिनिधि ने कहा कि तीन अलग अधिकारियों की नियुक्ति से छोटे गेमिंग स्टार्टअप पर लागत का बोझ पड़ेगा। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने साफ किया कि कोई ऐसा कानून नहीं है, जिसमें कहा गया हो कि एक व्यक्ति मुख्य शिकायत अधिकारी और नोडल अधिकारी के रूप में काम नहीं कर सकता है।
गेमिंग कंपनियों ने सुझाव दिया है कि नो योर कस्टमर (KYC) प्रक्रिया लागू करने में ग्रेडेड अप्रोच के लिए नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए। अनुपालन अधिकारियों की नियुक्ति के लिए कंपनियों ने मांग की कि मंत्रालय स्टार्टअप्स की सुरक्षा के लिए छूट दे। कुछ कंपनियों ने यह भी सुझाव दिया है कि हर गेम के प्री-रजिस्ट्रेशन के बजाय मध्यस्थों को स्वप्रमाणन की सुविधा देनी चाहिए।