दूरसंचार ऑपरेटरों ने कहा कि वे अखिल भारतीय स्तर पर स्टार्टअप, एमएसएमई और उनसे छोटे उद्यमों के बढ़ते डेटा ट्रैफिक सृजन को समायोजित करने के लिए तैयार है। हालांकि दूरसंचार ऑपरेटर चाहते हैं कि ज्यादा ट्रैफिक सृजन करने वाले टॉप सर्विस प्रोवाइडर (ओटीटी) प्रस्तावित उचित शेयर शुल्क (एफएससी) का भुगतान करें।
सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने इस मामले में केंद्र सरकार के समक्ष पेश अपने नवीनतम प्रस्तुतीकरण में कहा कि बड़े ट्रैफिक सृजनकर्ताओं (LTG) को इस शुल्क से मुक्त नहीं किया जा सकता है। हालांकि इनके नामों का खुलासा नहीं किया गया है। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि एलटीजी में वैश्विक स्ट्रीमिंग सेवा मुहैया कराने वाले नेटफ्लिक्स और एमेजॉन शामिल हैं।
दूरसंचार कंपनियों ने इस शुल्क को बढ़ाने की प्रमुख तौर पर मांग की है। इन कंपनियों का तर्क है कि ओटीटी का डेटा ट्रैफिक सृजन अत्यधिक तेजी से बढ़ने के कारण उन्हें दूरसंचार नेटवर्क की देखभाल करने में व्यापक पूंजी निवेश करने की जरूरत है। ऐसे में OTT को अपना राजस्व साझा करना चाहिए। इस मामले पर तर्कों का दौर जारी है और भारत की दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) को इस मामले पर अपना सुझाव देना है।
COAI के महानिदेशक एस. पी. कोच्चर ने कहा, ‘हम 2018 तक एमएसएमई, स्टॉर्टअप और ओटीटी के सृजित ट्रैफिक को समायोजित करेंगे। इनमें भारत की ई-कॉमर्स साइटें भी शामिल हैं। हम चार दिग्गजों के अलावा सभी को समायोजित करेंगे।’ उन्होंने कहा कि हमने 2019 को आधार वर्ष माना है। इसके बाद की अवधि में एलटीजी का डेटा ट्रैफिक सृजन आसमान पर पहुंच गया।
दूरसंचार क्षेत्र की तीन निजी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले COAI ने कहा कि देशभर में दूरसंचार नेटवर्क को ठीक-ठाक रखने और विकास के लिए FSC अनिवार्य है।
दरअसल, ओटीटी बेहद ज्यादा ट्रैफिक को लोड कर रही है और यह निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। सीओएआई ने इस मुद्दे पर जारी नए श्वेतपत्र में कहा कि बेस लाइन के लिए आधारभूत ढांचे की जरूरत कहीं कम है, जबकि सेवा प्रदाता ट्रैफिक सृजनकर्ताओं के लिए कहीं अधिक आधारभूत ढांचे की जरूरत है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने श्वेत पत्र देखा है। इस श्वेत पत्र के मुताबिक, ‘इन एग्रीगेटर के डेटा के कारण आधारभूत ढांचे पर बोझ बढ़ा है। ऐसे में एग्रीगेटर निवेश पर प्रतिफल के बिना आधारभूत ढांचे के अतिरिक्त खर्च को वहन करे।’
दूरसंचार ऑपरेटरों ने कहा कि वे दोहरे दबाव का सामना कर रहे हैं। उन्हें एक तरफ 5G नेटवर्क के विस्तार के लिए व्यापक रूप से निवेश करना पड़ रहा है और दूसरी तरफ मासिक औसत राजस्व प्रति उपभोगकर्ता (ARPU) तेजी से घट रहा है। वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में ARPU महज 145.6 रुपये था।