दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने सर्वजन दायित्व (USOF) को तब तक लंबित रखने का आग्रह किया है, जब तक इसका मौजूदा कोष खत्म नहीं हो जाता।
दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने बजट पूर्व सुझावों में मांग की है कि ‘प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल के अधिकार के निर्धारण’ पर सेवा कर छूट दिया जाए और टेलीकॉम उपकरणों पर सीमा शुल्क घटाकर शून्य किया जाए।
निजी क्षेत्र के दूरसंचार ऑपरेटरों रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वो़डाफोन आइडिया का प्रतिनिधित्व ‘द सेल्यूलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI)’ करती है।
COAI ने USOF पर लेवी समाप्त करने की मांग की है। उसने कहा, ‘इसके अलावा लाइसेंस शुल्क जल्द से जल्द 3 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत किया जाए और इसमें केवल दूरसंचार विभाग की प्रशासनिक लागत वसूली जाए।’
USOF के लिए धन दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से एकत्रित की जाने वाली यूनिवर्सल एक्सेस लेवी (UAL) से आता है। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को अपने सालाना समायोजित सकल राजस्व का 5 प्रतिशत कोष के लिए अदा करना पड़ता है।
सरकार ने 31 दिसंबर तक यूएएल के लिए संचयी रूप से 1.55 लाख करोड़ रुपये एकत्रित किए हैं। ये ऐतिहासिक रूप से सर्वाधिक है। इसके अलावा अभी तक इस कोष से 77,113 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं हुआ है जो आज तक का सर्वाधिक स्तर है।
COAI ने चुनिंदा दूरसंचार उपकरणों पर सीमा शुल्क से छूट की मांग की है। अभी महत्त्वपूर्ण दूरसंचार क्षेत्र की लागत चुनिंदा उपकरणों पर सीमा शुल्क लगने के कारण अधिक बढ़ गई है।
चुनिंदा उपकरणों पर बीते पांच से छह साल से शुल्क बढ़ रहा है और यह 20 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। अभी दूरसंचार ऑपरेटर RCM के तहत GST का भुगतान दूरसंचार मंत्रालय को लाइसेंस शुल्क आदि के रूप में करते हैं।