टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने अपना कर्ज काफी कम किया है। चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने के दौरान टाटा संस का शुद्ध कर्ज घटकर 5,656 करोड़ रुपये रह गया और इस दौरान उसका नकद भंडार बढ़कर 9,516 करोड़ रुपये हो गया।
कैपिटालाइन के आंकड़ों के अनुसार 8 साल पहले वित्त वर्ष 2016 में टाटा संस पर 5,132 करोड़ रुपये का शुद्ध कर्ज था। चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में कंपनी पर सकल कर्ज घटकर 15,173 करोड़ रुपये यानी करीब आधा ही रह गया, जो वित्त वर्ष 2019 में 31,363 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका था।
जानकार सूत्रों ने कहा कि कंपनी का कर्ज कम होने से टाटा संस को सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी तथा विमानन और नए डिजिटल उद्यमों में निवेश करने में मदद मिली है।
बैंकिंग सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में टाटा संस के शुद्ध कर्ज में कमी का मतलब है कि कंपनी जल्द ही कर्ज मुक्त (शुद्ध कर्ज के मामले में) हो जाएगी क्योंकि उसकी घाटे वाली इकाई टाटा टेलीसर्विसेज में निवेश घटा है और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी सहायक इकाइयों से लाभांश/पुनर्खरीद में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्र ने बताया कि बीते 6 साल में टाटा संस की नकदी का बड़ा हिस्सा टाटा टेली में झोंका जा रहा था। मगर अब टाटा टेली ने बैंक का कर्ज और केंद्र सरकार का 60,000 करोड़ रुपये का बकाया चुका दिया है। 2जी स्पेक्ट्रम पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद कई दूरसंचार कंपनियों ने दिवालिया आवेदन किया था मगर टाटा संस ने टाटा टेली का पिछले 5 साल का सारा कर्ज चुका दिया।
इस बारे में जानकारी के लिए टाटा संस को ईमेल भेजा गया लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक ने टाटा संस को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की उच्च श्रेणी (अपर लेयर) में रखा है। इसका मतलब है कि टाटा संस को सितंबर 2025 तक स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराना होगा।
टाटा संस ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) की योजना पर कुछ नहीं कहा है मगर विश्लेषकों ने कंपनी का मूल्यांकन 11 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है।
स्पार्क कैपिटल ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि टाटा समूह की कंपनियों के मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से टाटा संस का मूल्यांकन 7 से 8 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। टाटा संस में टाटा ट्रस्ट्रस की 66 फीसदी और मिस्त्री परिवार की 18.5 फीसदी हिस्सेदारी है।
मिस्त्री परिवार की कंपनियां भारी कर्ज के कारण नकदी की किल्लत से जूझ रही हैं। टाटा संस का आईपीओ आने से इस परिवार को कंपनी से अपना निवेश निकालने का मौका मिल सकता है।
दिलचस्प है कि टाटा संस की सहायक इकाई टाटा कैपिटल को भी आरबीआई ने एनबीएफसी के अपर लेयर में रखा है और उसे भी अगले साल सितंबर तक स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराना होगा। टाटा कैपिटल के सूचीबद्ध होने से टाटा संस को नकदी कमाने का मौका मिलेगा क्योंकि इस कंपनी में टाटा संस की 94 फीसदी हिस्सेदारी है।
पिछले महीने टाटा कैपिटल के निदेशक मंडल ने गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों के जरिये 20,000 करोड़ रुपये जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। कंपनी खुदरा ऋणदाता श्रेणी में अगुआ बनना चाहती है और इसके लिए उसे पूंजी की दरकार है। टाटा कैपिटल की ही कंपनी टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनैंस भी होम लोन कारोबार के बाजार में अपना हिस्सा बढ़ाने के लिए 8,000 करोड़ रुपये जुटा रही है।