टाटा ग्रुप (Tata Group) ने गुजरात सरकार से धोलेरा (Dholera) में निर्माणाधीन सेमीकंडक्टर चिप फेब्रिकेशन प्लांट (semiconductor chip plant) के विस्तार के लिए 80 एकड़ जमीन मांगी है। इस मामले से परिचित सूत्रों ने यह जानकारी दी है। नई जमीन पहले से आवंटित 20 एकड़ जमीन के साथ जुड़ी होगी, जहां पर टाटा ग्रुप का चिप फेब्रिकेशन प्लांट स्थित है। एक अधिकारी के अनुसार, टाटा ग्रुप की सब्सिडियरी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स इस अतिरिक्त जमीन पर करीब 3,000 से 3,500 कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधाएं (housing facilities) भी तैयार कर सकती है।
अधिकारी ने बताया, “यह जमीन मिश्रित उपयोग (मिक्स्ड यूज) के विकास के लिए है। यहां सिर्फ TEPL (टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड) के ही नहीं, बल्कि चिप फेब्रिकेशन यूनिट को कच्चा माल सप्लाई करने वाले कर्मचारियों के लिए भी लगभग 3,000 स्टूडियो-अपार्टमेंट शैली के आवास बनाए जाएंगे।”
समय के साथ यहां एक बड़ा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स तैयार किए जाने की संभावना है, जिसमें मनोरंजन और डाइनिंग की सुविधाएं होंगी। इसके अलावा, विदेशी कर्मचारियों के लिए अलग डाइनिंग विकल्प, एक खेल परिसर और अन्य सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।
एक अधिकारी ने बताया कि इन 100 एकड़ जमीन के अलावा गुजरात सरकार ने टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL) को धोलेरा में निर्माण और अन्य सुविधाओं के प्रस्तावित विस्तार के लिए जरूरत पड़ने पर 63 एकड़ अतिरिक्त जमीन देने के लिए समर्थन पत्र जारी किया है। इस संबंध में भेजे गए ईमेल का TEPL की ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
टाटा ग्रुप की धोलेरा सेमीकंडक्टर यूनिट भारत की पहली चिप फेब्रिकेशन प्लांट है, जिसे केंद्र सरकार ने 29 फरवरी 2024 को महत्वाकांक्षी इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत मंजूरी दी थी। यह प्लांट 2027 तक चालू होने की उम्मीद है और इसमें करीब 2,000 लोगों को रोजगार मिल सकता है।
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धोलेरा में बन रही चिप फेब्रिकेशन यूनिट की लागत ₹91,000 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। TEPL को आवंटित की गई जमीन की कीमत लगभग ₹200 करोड़ आंकी गई है, जबकि चिप फेब्रिकेशन यूनिट, उससे जुड़ी सुविधाएं, यूटिलिटी और आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर लगभग ₹15,710 करोड़ खर्च होने की संभावना है।
₹76,000 करोड़ के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर चिप निर्माण और पैकेजिंग को शुरू करना था, और इसे अब तक सफलता मिलती दिख रही है। अब तक इस योजना के तहत पांच प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है। इनमें से चार प्रोजेक्ट चिप पैकेजिंग यूनिट्स के हैं, जबकि TEPL अब तक का एकमात्र चिप फेब्रिकेशन प्रोजेक्ट है।