एक अरब डॉलर से ज्यादा मूल्यांकन के साथ जहां तीन भारतीय स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न बन गईं, वहीं हुरुन इंडिया फ्यूचर यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024 की सूची से 25 स्टार्टअप कंपनियां बाहर हो गईं। इनमें रैपिडो, कू, डंजो, पेपर बोट, डॉटपे, गाना और पार्क प्लस जैसे कुछ प्रमुख नाम शामिल हैं।
गुरुवार को जारी एएसके प्राइवेट वेल्थ हुरुन इंडिया फ्यूचर यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024 के अनुसार तीन स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न बन गई हैं। इनमें भारतीय क्विक डिलिवरी स्टार्टअप कंपनी जेप्टो, जिसे अगस्त 2023 में यूनिकॉर्न का दर्जा मिला; इनक्रेड फाइनैंस, जो दिसंबर 2023 में यूनिकॉर्न बनी और लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म पोर्टर शामिल हैं।
एक और स्टार्टअप इग्जिगो इस साल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के बाद हुरुन इंडिया फ्यूचर यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024 की सूची से बाहर हो गई। इन 25 स्टार्टअप कंपनियों में से पांच ‘गजेल’ और 20 ‘चीता’ थीं। गजेल और चीता क्रमशः तीन और पांच साल में यूनिकॉर्न बन सकती हैं। इस सूची में 31 शहरों के 152 भावी भारतीय यूनिकॉर्न कंपनियों के नाम शामिल हैं।
इस रिपोर्ट के निष्कर्षों में भारत में रकम जुटाने के नरम दौर के असर के बारे में बताया गया है। इसमें कहा गया है कि साल 2023 और 2024 में तीन भावी यूनिकॉर्न कंपनियों का दर्जा बढ़कर यूनिकॉर्न का हो गया। साल 2022 में यह संख्या कहीं ज्यादा यानी 24 थी।
हुरुन इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य शोधकर्ता अनस रहमान जुनैद ने कहा कि रकम जुटाने में नरमी के दौर साल 2021 से पहले के बढ़े हुए मूल्यांकन और बैजूस जैसी कंपनियों से मिले झटकों के बीच स्टार्टअप कंपनियों का सुनहरा दौर अब महत्वपूर्ण मोड़ का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा ‘आर्थिक मंदी ने विशिष्ट कंपनियों के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, पिछले साल के 24 प्रतिशत गजेल/चीता या तो सूची से बाहर हो गए हैं या उन्हें डाउनग्रेड कर दिया गया है। बढ़ती ब्याज दरों और भू-राजनीतिक चुनौतियों ने पूंजी जुटाने में स्टार्टअप के लिए बाधाएं खड़ी कर दी हैं।’
एएसके प्राइवेट वेल्थ के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी राजेश सलूजा ने कहा कि भारत में वेंचर कैपिटल फंडिंग साल 2022 के 38 अरब डॉलर के मुकाबले साल 2023 में घटकर आठ अरब डॉलर रह गई।