भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अमेरिका के उद्यमी डैनी गायकवाड़ के उस आवेदन को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज (आरईएल) के लिए प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश की मंजूरी नियामक से मांगी थी।
सेबी ने कहा कि छूट प्रदान करना शेयरधारकों के हित में नहीं होगा क्योंकि इसे पर्याप्त वित्तीय सामर्थ्य का समर्थन नहीं है। इससे बाजार की गतिशीलता बाधित हो सकती है और निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है।
शुक्रवार को जारी आदेश में नियामक ने कहा कि गायकवाड़ प्रतिस्पर्धी प्रस्ताव के वित्तीय दायित्वों को पूरा करने की अपनी क्षमता प्रदर्शित करने में विफल रहे। उनकी पेशकश का मूल्य 275 रुपये प्रति शेयर था। नियामक ने प्रमुखता से बताया कि गायकवाड़ ने वित्तीय संसाधनों का पर्याप्त प्रमाण नहीं दिया, जिससे उनका आवेदन अगंभीर हो जाता है और ऐसा लगता है कि इसका उद्देश्य खुली पेशकश की प्रक्रिया में बाधा डालना था।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्वनी भाटिया ने 10 पृष्ठ के आदेश में कहा, ‘प्रतिस्पर्धी ओपन ऑफर के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों के पर्याप्त सबूत के अभाव में आवेदक द्वारा किया गया आवेदन ठोस नहीं लगता है। यह अगंभीर लगता है और यह केवल ओपन ऑफर प्रक्रिया में बाधा डालने के मकसद से लाया गया है।’
गायकवाड़ सर्वोच्च न्यायालय की ओर से 600 करोड़ रुपये जमा करने के लिए दी गई विस्तारित समय-सीमा से चूक गए। इसके अलावा, उन्होंने अन्य वित्तीय नियामकों की मंजूरी के लिए भी आवेदन नहीं किया। सेबी ने निवेश बैंक पीएल कैपिटल की विवेकशील जांच पर भी सवाल उठाया और कहा कि लगता है कि बैंकर गायकवाड़ की साख के बारे में “अनभिज्ञ” है और वह ओपन ऑफर स्वीकार करने से पहले उचित जांच और केवाईसी करने में विफल रहा।
बर्मन परिवार का ओपन ऑफर गुरुवार को समाप्त हो गया। इसमें कुल ऑफर की मात्र 0.26 प्रतिशत ही बोलियां ही मिल सकीं। सेबी ने पहले भी गायकवाड़ का अनुरोध वापस कर दिया था, जिसमें उन्होंने वित्तीय फर्म में 55 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए काउंटर ऑफर के लिए आवेदन किया था। अपने आवेदन पर निर्णय से पहले गायकवाड़ सेबी के साथ ऑनलाइन सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुए।
सेबी ने यह भी कहा कि गायकवाड़ को प्रतिस्पर्धी ओपन ऑफर की अनुमति देने पर बर्मन समूह की ओपन ऑफर प्रक्रिया को अनिश्चित काल के लिए रोकना होगा। यह बर्मन और उन शेयरधारकों के हितों के लिए नुकसानदेह होगा जिन्होंने पहले ही अपने शेयर सौंप दिए हैं।
आदेश में कहा गया है, ‘यह महत्त्वपूर्ण है कि बर्मन समूह इस प्रक्रिया में एक हितधारक है और संबद्ध कंपनी के शेयरधारक के रूप में अन्य शेयरधारकों की तरह ही उसे अपने अधिकारों की सुरक्षा का हकदार है।’