ONGC gas dispute case: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की अगुवाई वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और उसके कंसोर्टियम पार्टनर्स BP Exploration (Alpha) Limited और NIKO (NECO) लिमिटेड से 2.81 अरब डॉलर के मुआवजा की मांग की है। यह विवाद ONGC के ब्लॉक्स से KG-D6 ब्लॉक में गैस माइग्रेशन से जुड़ा हुआ है। रिलायंस ने आज यानी मंगलवार (4 मार्च) को शेयर बाजार को यह सूचना दी। यह मामला लंबे समय से विवाद का विषय बना हुआ है, जिसमें सरकार और कंपनियों के बीच कानूनी और वित्तीय दावों पर चर्चा जारी है।
एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने कहा, “पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने PSC ठेकेदारों – रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, BP एक्सप्लोरेशन (Alpha) लिमिटेड और NIKO (NECO) लिमिटेड पर 2.81 अरब डॉलर की मांग उठाई है।”
यह दावा 2018 के एक मामले से जुड़ा है, जब भारत सरकार ने KG-D6 कंसोर्टियम, जिसमें रिलायंस भी शामिल है, पर ONGC के निकटवर्ती ब्लॉकों से गैस माइग्रेशन के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया था।
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शुरुआत में, पेट्रोलियम मंत्रालय ने कथित गैस माइग्रेशन के लिए लगभग 1.55 अरब डॉलर का मुआवजा मांगा था। मामला कई कानूनी कार्यवाहियों में उलझ गया और अंततः दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंच गया।
मई 2023 में, दिल्ली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक मध्यस्थता फैसले को चुनौती दी गई थी। इस फैसले में रिलायंस इंडस्ट्रीज के पक्ष में निर्णय दिया गया था। हालांकि, सरकार ने डिवीजन बेंच में अपील की, जिसके बाद 3 मार्च 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने पहले के फैसले को पलट दिया।
इस फैसले के बाद, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अब अपनी मांग बढ़ाकर 2.81 अरब डॉलर कर दी है। मंत्रालय ने नए कानूनी घटनाक्रम और गैस माइग्रेशन मामले के पुनर्मूल्यांकन को आधार बनाते हुए यह कदम उठाया है।
रिलायंस ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि कंपनी को कानूनी सलाह मिली है कि डिवीजन बेंच का फैसला और यह प्रोविजनल मांग अस्थिर है। कंपनी दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले को चुनौती देने के लिए कदम उठा रही है। कंपनी को इस मामले में कोई वित्तीय देनदारी (liability) होने की उम्मीद नहीं है।